अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बीते 2 अप्रैल को लिबरेशन डे का ऐलान करते हुए कम से कम 90 देशों पर टैरिफ लगाने की घोषणा की। ट्रम्प का मानना है कि कि यह योजना न सिर्फ राजस्व बढ़ाएगी बल्कि 'अनुचित व्यापार प्रथाओं' का जवाब भी होगी। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि ये टैरिफ एक राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल किए जा रहे हैं।
भारत पर असर
भारत से अमेरिका को निर्यात होने वाले सामानों पर 50% तक टैरिफ लगाया गया है। ट्रम्प ने यह कदम भारत के रूस से तेल आयात जारी रखने की वजह से उठाया। हालांकि भारत की अर्थव्यवस्था निर्यात पर कम निर्भर है और उसका घरेलू बाज़ार बड़ा है। 2024 में भारत ने अमेरिका को 87.3 अरब डॉलर के सामान का निर्यात किया, जो उसके जीडीपी का सिर्फ 2% है। सेवाओं का निर्यात (200 अरब डॉलर सालाना) टैरिफ के दायरे में नहीं आता।
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विशेषज्ञों की राय
प्रोफेसर अनिल देवलालिकर (कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय) का कहना है, ये टैरिफ असल में आर्थिक नहीं, बल्कि राजनीतिक सज़ा हैं। अमेरिका इन्हें दबाव बनाने और देशों की नीतियां बदलवाने के लिए इस्तेमाल कर रहा है। नील महोनी (स्टैनफोर्ड) के मुताबिक, आज टैरिफ 1930 के दशक के बाद सबसे ऊँचे हैं, और पिछले दशकों की तुलना में 10 गुना ज्यादा।
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