ADVERTISEMENT

ADVERTISEMENT

ट्रम्प ने दोहराया- विदेशी हाथों में नहीं जाने दूंगा US Steel, जापानी डील पर संकट 

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जापान की निप्पॉन स्टील कंपनी के 15 अरब डॉलर के प्रस्ताव पर फिर से आपत्ति जताई है। ट्रम्प चाहते हैं कि यू.एस. स्टील अमेरिकी हाथों में ही रहे, जिससे इस महत्वपूर्ण सौदे का भविष्य अनिश्चित बना हुआ है।

ट्रम्प ने रविवार को फिर कहा कि वो नहीं चाहते कि कोई विदेशी कंपनी यू.एस. स्टील पर कंट्रोल करे। / REUTERS/Rebecca Cook/File Phot

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने रविवार को फिर कहा कि वो नहीं चाहते कि कोई विदेशी कंपनी यू.एस. स्टील पर कंट्रोल करे। उन्होंने पिछले हफ्ते भी यही बात कही थी, जिससे जापान की निप्पॉन स्टील (Nippon Steel) की 15 अरब डॉलर की बोली पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। निप्पॉन स्टील, यू.एस. स्टील को खरीदना चाहती है।

ट्रम्प ने बुधवार को कहा था कि वो नहीं चाहते कि यू.एस. स्टील 'जापान के हाथ में जाए'। उनके इस बयान के बाद कंपनी के शेयर 7 फीसदी तक लुढ़क गए थे। बाद में, दोनों कंपनियों ने कहा कि वे 'एक बड़े निवेश को पक्का करने' के लिए ट्रम्प प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। ट्रम्प ने ये बातें रिपोर्टरों से तब कहीं, जब वो फ्लोरिडा में अपने घर से एयर फोर्स वन में बैठकर वॉशिंगटन लौट रहे थे।

उधर, जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा ने 14 अप्रैल को टोक्यो में संसद के एक सेशन में बताया कि ट्रम्प और उनके बीच फरवरी में हुई मुलाकात के दौरान इस डील पर चर्चा हुई थी।

इशिबा ने कहा, 'अमेरिकी कानूनों को ध्यान में रखते हुए, कंपनी को खरीदने (acquisition) और उसमें पैसा लगाने के फर्क को बारीकी से देखना होगा। लेकिन, निश्चित रूप से कोई ऐसा रास्ता निकलना चाहिए जिससे यू.एस. स्टील एक अमेरिकी कंपनी बनी रहे और जापान के हितों का भी ध्यान रखा जा सके।'

निप्पॉन स्टील और यू.एस. स्टील के बीच जो डील दिसंबर 2023 में तय हुई थी, वो शुरू से ही मुश्किलों में घिरी रही है। पिछले साल, पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन और ट्रम्प, दोनों ने ही कहा था कि यू.एस. स्टील अमेरिकी कंपनी ही रहनी चाहिए। वे ऐसा इसलिए कर रहे थे क्योंकि उन्हें पेंसिल्वेनिया के वोटरों को लुभाना था। पेंसिल्वेनिया एक 'स्विंग स्टेट' (ऐसा राज्य जहां वोट किसी भी पार्टी को जा सकते हैं) है, जहां कंपनी का हेडक्वार्टर भी है। यहां चुनाव में कड़ा मुकाबला था।

जनवरी 2025 में, बाइडेन ने देश की सुरक्षा का हवाला देते हुए इस डील पर रोक लगा दी थी। लेकिन, कंपनियों ने फौरन केस कर दिया। उनका आरोप था कि उन्हें नेशनल सिक्योरिटी रिव्यू (राष्ट्रीय सुरक्षा समीक्षा) का सही मौका नहीं दिया गया, क्योंकि बाइडेन दोबारा चुनाव जीतने के चक्कर में पहले ही खुलकर डील का विरोध करके पूरे प्रोसेस पर असर डाल चुके थे।

Comments

Related

ADVERTISEMENT

 

 

 

ADVERTISEMENT

 

 

E Paper

 

 

 

Video