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जीन थेरेपी पर दिव्या माथुर का अहम शोध, मिला CAREER अवॉर्ड

भारतीय मूल की केमिस्ट दिव्या माथुर का शोध ऐसे नैनो कणों के विकास का पर केंद्रित है, जो फॉल्टी जीन को प्रतिस्थापित करने की क्षमता रखते हैं।

साइंटिस्ट दिव्या माथुर जीन थेरेपी में सुधार की लाने के उद्देश्य के साथ अहम शोध कर रही हैं। उनकी एक खास रिसर्च के लिए सिंथेटिक डीएनए नैनोकणों पर उनके शोध के लिए राष्ट्रीय विज्ञान फाउंडेशन (NSF) द्वारा फैकल्टी अर्ली करियर डेवलपमेंट (CAREER) पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। 

दिव्या माथुर जीन थेरेपी में सुधार लाने के लिए डीएनए नैनोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में कार्य कर रही हैं।  वे ऐसे डीएनए नैनोकणों का विकास कर रही हैं जिनका उपयोग विशिष्ट कोशिकाओं में चिकित्सीय जीन पहुंचाने के लिए किया जा सकता है। उनका दृष्टिकोण उन्नत माइक्रोस्कोपी को एकल-कोशिका इंजेक्शन के साथ जोड़कर यह निगरानी करता है कि जीवित कोशिकाओं के अंदर ये कृत्रिम डीएनए संरचनाएं कैसे व्यवहार करती हैं।

बता दें कि दिव्या माथुर केस वेस्टर्न रिजर्व यूनिवर्सिटी के आर्ट एंड साइंस पीजी कॉलेज में फ्रैंक होवोर्का रसायन विज्ञान की सहायक प्रोफेसर हैं। वे केस वेस्टर्न रिजर्व के तीन संकाय सदस्यों में से एक उन तीन संकाय सदस्यों में  शामिल हैं, जो इस बार राष्ट्रीय विज्ञान फाउंडेशन (NSF) द्वारा CAREER पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। 

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