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अमेरिका में क्रिकेट को नई पहचान दे रहे देबजीत लाहिड़ी

अमेरिका में एक साल में ही लाहिड़ी ने महसूस किया कि खेल सिर्फ मनोरंजन नहीं बल्कि सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा है।

देबजीत लाहिड़ी / image provided

मिलवॉकी (अमेरिका) में रहने वाले बिज़नेस कंसल्टेंट देबजीत लाहिड़ी अमेरिकी क्रिकेट के पुनर्जीवन में एक अनोखा योगदान दे रहे हैं। उन्होंने इंस्टाग्राम पर ‘Forgotten Cricket Memories’ नाम से एक प्रोजेक्ट शुरू किया, जो किसी व्यावसायिक मकसद से नहीं बल्कि पूरी तरह जुनून और भावनाओं से जन्मा।

दादा की यादों से शुरू हुआ सफर
लाहिड़ी बताते हैं कि यह प्रोजेक्ट महामारी के दौरान एक बहुत निजी प्रयोग के रूप में शुरू हुआ—उन क्रिकेट कहानियों से फिर से जुड़ने के लिए, जिन्हें वह अपने दादा से सुनते थे। उन्होंने महसूस किया कि तेज़-रफ्तार डिजिटल दुनिया में क्रिकेट की सांस्कृतिक यादें और भावनाएं पीछे छूट रही हैं।

भारत से 2024 में अमेरिका आए लाहिड़ी मिलवॉकी में कंसल्टिंग असाइनमेंट पर काम कर रहे हैं, लेकिन क्रिकेट की छिपी कहानियों को सामने लाने का जुनून उनके साथ ही आया। शांत, भावनात्मक और इंसान-केन्द्रित कहानियों के कारण लाहिड़ी का पेज अब 87,000 से अधिक फॉलोअर्स के साथ कई देशों में लोकप्रिय है।

भारत से 78% फॉलोअर्स, दूसरे नंबर पर अमेरिका, बाकी UK, ऑस्ट्रेलिया और UAE से आते हैं। दिलचस्प बात यह है कि लगभग 43% दर्शक 35 वर्ष से अधिक उम्र के हैं—जो 80s से 2000s के क्रिकेट के अनुरागी रहे हैं और अब इंस्टाग्राम पर भी नॉस्टाल्जिया तलाशते हैं।

अमेरिकी क्रिकेट की छिपी कहानियों पर फोकस
अमेरिका में नए प्रो-T20 लीग्स की बढ़ती लोकप्रियता के बीच देबजीत लाहिड़ी अब US क्रिकेट की भूली-बिसरी कहानियों पर काम कर रहे हैं, जिसमें शुरुआती प्रवासी लीग्स, दक्षिण एशियाई और कैरेबियाई मूल के कोचों की भूमिका और वे खिलाड़ी शामिल हैं जो आज अमेरिका में क्रिकेट की नई पहचान बना रहे हैं।

वे सुशांत मोदानी जैसे खिलाड़ियों की प्रेरक कहानियां भी साझा करते हैं, जो भारतीय-अमेरिकी समुदाय के उभरते सितारे हैं। दूसरी ओर, अयन देसाई जैसे दूसरे पीढ़ी के युवा खिलाड़ी भी उनकी कहानियों में जगह पा रहे हैं—जो बिना किसी पारंपरिक क्रिकेट नॉस्टाल्जिया के इस खेल में अपनी दिशा बना रहे हैं।

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क्रिकेट की ऐतिहासिक जड़ों को खोजने की यात्रा
लाहिड़ी बताते हैं कि अमेरिका में क्रिकेट का इतिहास 19वीं सदी तक जाता है और फिलाडेल्फिया के Germantown Cricket Club की यात्रा में उन्हें पता चला कि यहां 1850 के दशक से क्रिकेट खेला जा रहा था। इसी मैदान पर भारतीय लीजेंड रणजीतसिंहजी ने मैच खेले थे और अमेरिका के बार्ट किंग—जिन्हें आधुनिक स्विंग बॉलिंग का शुरुआती मास्टर माना जाता है—भी यहीं के खिलाड़ी थे। अमेरिकी क्रिकेट की इस समृद्ध विरासत पर उनकी कहानी को सबसे ज्यादा व्यूज़ मिले और यह आधुनिक दौर में क्रिकेट के अमेरिकी पुनर्जीवन में उनके योगदान का अहम हिस्सा बन गई।

लाहिड़ी मानते हैं कि वे अपने तरीके से अमेरिकी क्रिकेट के पुनर्जागरण में योगदान दे रहे हैं—एक ऐसा समय जब नई लीग, फंडिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर क्रिकेट को मुख्यधारा में जगह दिलाने की कोशिश कर रहे हैं।
उनका प्रोजेक्ट इन यात्राओं को दस्तावेज़ करता है कि 19वीं सदी की जड़ों से लेकर आज के पुनर्जीवन तक—ताकि क्रिकेट को अमेरिका में सांस्कृतिक रूप से समझा और अपनाया जा सके। नॉन-कमर्शियल स्टोरीटेलिंग-उनकी सबसे बड़ी ताकत है। लाहिड़ी लंबे, शोध-आधारित और भावनात्मक नैरेटिव लिखते हैं।

वे पुराने मैच फुटेज, रिपोर्ट्स और स्कोरकार्ड खंगालते हैं और कई बार खिलाड़ियों व कोचों से सीधे बातचीत भी करते हैं। आगे चलकर वे अपने प्रोजेक्ट को इंस्टाग्राम से आगे ले जाना चाहते हैं और इसके लिए क्रिकेट म्यूज़ियम, सांस्कृतिक संस्थानों और स्पोर्ट्स पर शोध करने वाले अकादमिक संगठनों के साथ सहयोग की योजना बना रहे हैं। साथ ही, वे रॉबिन उथप्पा के साथ पॉडकास्ट-स्टाइल स्टोरी भी विकसित कर रहे हैं ताकि इन किस्सों को नए और युवा दर्शकों तक पहुंचाया जा सके।

अमेरिका में क्रिकेट का बदलता रूप
लाहिड़ी कहते हैं कि क्रिकेट अब भारतीय-अमेरिकी समुदाय के लिए सिर्फ नॉस्टाल्जिया नहीं रहा—यह क्रॉस-कल्चरल आंदोलन बन रहा है। बेहतर सुविधाएं, स्ट्रीमिंग, और युवा पीढ़ी की दोहरी पहचान (India+US) इसे आगे बढ़ा रही है। लेकिन क्रिकेट को पूरी तरह अमेरिकी खेल बनने के लिए स्कूलों और कॉलेजों में इसकी एंट्री जरूरी है।

मिलवॉकी: छोटे शहर से बड़ा सबक
लाहिड़ी बताते हैं कि मिलवॉकी जैसे छोटे शहर में भी आज Milwaukee Premier League और दक्षिण एशियाई समुदाय की सक्रियता की वजह से क्रिकेट लगातार बढ़ रहा है। ऐतिहासिक रिकॉर्ड यह भी दिखाते हैं कि 1800 के दशक में यहाँ एक क्रिकेट क्लब मौजूद था और अब्राहम लिंकन ने भी मिलवॉकी और शिकागो टीमों के बीच खेले गए एक मैच को देखा था, जो इस शहर की गहरी क्रिकेटीय विरासत को दर

अमेरिका में एक साल में ही लाहिड़ी ने महसूस किया कि खेल सिर्फ मनोरंजन नहीं बल्कि सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा है। और जैसे-जैसे क्रिकेट अमेरिका में अपनी जगह फिर पा रहा है, लाहिड़ी की कहानी इस बदलाव का अहम हिस्सा बनती जा रही है।

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