दिनेश शास्त्री की यात्रा / image provided
हर पीढ़ी में एक ऐसा शख्स होता है जो दुनिया के अलग-अलग सिस्टम्स के बीच पुल बनाता है। दनेश शास्त्री ऐसे ही एक अंतरराष्ट्रीय निवेश रणनीतिकार हैं, जिनकी यात्रा महाद्वीपों, विचारधाराओं और उद्योगों को जोड़ने वाली कहानी बन गई है। क्लिंटन दौर में अमेरिकी राजनीतिक रणनीति तैयार करने से लेकर भारत में डिजिटल बदलाव की रणनीति और अब फीफा वर्ल्ड कप 2026 के भारत में मीडिया राइट्स हासिल करने तक शास्त्री का करियर एक नक्शे की तरह है, जो 21वीं सदी की वैश्विक नेतृत्व क्षमता को परिभाषित करता है।
शुरुआती जीवन: महाद्वीपों की जिज्ञासा
सैन फ्रांसिस्को में जन्मे शास्त्री ने अपना बचपन हैदराबाद, नई दिल्ली और काकीनाडा में बिताया। घर की सांस्कृतिक जड़ों और बाहर की दुनिया के सिस्टम्स ने उन्हें जल्दी ही प्रभावित किया। प्रसिद्ध यूसी बर्कले से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग और कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई और जॉर्जटाउन लॉ से कॉरपोरेट व सिक्योरिटीज लॉ में ज्यूरिस डॉक्टर की डिग्री हासिल की।
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उनका झुकाव हमेशा इस बात को समझने की ओर रहा कि चीजें कैसे जुड़ती हैं, कैसे नियंत्रित होती हैं और कैसे परिणामों को प्रभावित करती हैं।
वॉशिंगटन के साल: राजनीति, शक्ति और प्रभाव
शास्त्री का करियर वॉशिंगटन डीसी की गलियारों में आकार लेने लगा, जहां हर हाथ मिलाना एक नई दिशा तय करता है। वे डेमोक्रेटिक नेशनल कमेटी (DNC) और डेमोक्रेटिक सीनेटोरियल कैंपेन कमेटी (DSCC) के ट्रस्टी रहे और क्लिंटन-गोर युग के शीर्ष पाँच राष्ट्रीय फंडरेज़र्स में शामिल थे।
बिल क्लिंटन और उनके परिवार के साथ दिनेश शास्त्री। / image provided1998 में भारत–अमेरिका परमाणु तनाव के समय शास्त्री ने सांस्कृतिक कूटनीति का ऐसा रास्ता सुझाया कि अगले ही दिन व्हाइट हाउस में दिवाली की औपचारिक मान्यता एक ऐतिहासिक कदम बन गई।
इल्युमिनेंट कैपिटल: फाइनेंस को जोड़ने का जरिया बनाया
कुछ समय नीति-निर्माण में बिताने के बाद शास्त्री ने इल्युमिनेंट कैपिटल होल्डिंग्स, LLC की स्थापना की। उद्देश्य था—फाइनेंस को विभाजन का नहीं, बल्कि देशों और विचारों को जोड़ने का साधन बनाना।
उन्होंने लेवरेज्ड बायआउट्स, सार्वभौमिक फंड सहयोग और स्टार्टअप निवेश जैसे जटिल सौदों को संरचित किया।
उनकी सबसे उल्लेखनीय उपलब्धियों में अमेरिका–भारत रक्षा तकनीक हस्तांतरण (फायरफाइंडर रडार) भी शामिल है। जल्द ही उनकी कंपनी अमेरिकी पूंजी और भारतीय नवाचार को जोड़ने का प्रतीक बन गई। उन्होंने ब्लैकस्ट्रीट कैपिटल, आयरन पिलर समेत कई सिलिकॉन वैली फर्मों के लिए बहु-मिलियन डॉलर निवेश राउंड पर सलाह दी।
सिम्बा फाइबर: अफ्रीका को डिजिटल रूप से जोड़ने का मिशन
शास्त्री ने वाइस चेयरमैन के रूप में सिम्बा फाइबर के जरिए 54 अफ्रीकी देशों में हाई-स्पीड इंटरनेट लाने की पहल को आगे बढ़ाया। यह उनके लिए सिर्फ व्यापार नहीं बल्कि डिजिटल सशक्तिकरण का कदम था। वे तकनीक को “कूटनीति का विस्तार” मानते हैं, और AI, ब्लॉकचेन, ग्रीन एनर्जी और डेटा एनालिटिक्स जैसे क्षेत्रों में उनका पोर्टफोलियो तेजी से बढ़ रहा है।
फीफा वर्ल्ड कप 2026: भारत की डिजिटल छलांग
2025 शास्त्री के लिए एक महत्वपूर्ण साल साबित हुआ। उनकी कंपनी इल्युमिनेंट कैपिटल को फीफा 2026 के मीडिया राइट्स बोली में शामिल किया गया, जिसे बाद में मेटालॉयड ने जीत लिया। इसके साथ ही भारत को ब्रॉडकास्टिंग, स्ट्रीमिंग और दर्शक अनुभव में वैश्विक स्तर की नई भूमिका मिली। इस जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शास्त्री की टीम से 7 नवंबर 2025 तक एक बड़े अमेरिकी पार्टनर को फाइनल करने का अनुरोध किया। इसके लिए शास्त्री ने साहसी कदम उठाते हुए टेस्ला, स्पेसएक्स (स्टारलिंक), यूट्यूब, मेटा, गूगल क्लाउड, माइक्रोसॉफ्ट, अमेज़न और यूके फुटबॉल टीमों तक से बातचीत शुरू की — ताकि एआई-आधारित लोकलाइज़ेशन और बड़े पैमाने की डिजिटल पहुंच को जोड़ा जा सके।
कौन हैं दिनेश शास्त्री?
दूर से देखने पर एक साधारण इंसान। करीब से देखने पर दूरदृष्टि का प्रतीक। राजनीति हो, फाइनेंस या तकनीक, शास्त्री एक ही सिद्धांत पर चलते हैं: “एक कदम आगे भी प्रगति है।” वैश्विक नीति और बिजनेस की उथल-पुथल भरी दुनिया में वे शांत रहते हैं, हाथ में सुबह की कॉफी लिए, बालकनी से बाहर देखते हुए, और दिमाग में नई संभावनाओं की गणना करते हुए कि कैसे अलग-अलग कथाओं को जोड़कर नई मूल्य-श्रृंखला बनाई जा सकती है। उनकी कहानी बताती है कि नेतृत्व सिर्फ शक्ति नहीं, बल्कि दृष्टि और जुड़ाव का नाम है।
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