प्रतीकात्मक तस्वीर /  istock
            
                      
               
             
            अमेरिका की एक फेडरल अदालत ने 133 अंतरराष्ट्रीय स्टूडेंट्स (जिनमें कई भारतीय भी हैं) की डिपोर्टेशन पर फिलहाल रोक लगा दी है। अदालत ने यू.एस. डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) को आदेश दिया है कि इन सभी का स्टूडेंट इमिग्रेशन रेकॉर्ड दोबारा सक्रिय किया जाए। अचानक हुए रेकॉर्ड टर्मिनेशन से ये स्टूडेंट्स कानूनी मुसीबत में पड़ गए थे।
23 अप्रैल को जारी अस्थायी रोक में यूएस डिस्ट्रिक्ट जज जेन बेकरिंग ने DHS अधिकारियों डिफेंडेंट्स क्रिस्टी नोएम और डेविड लायंस को आदेश दिया कि वे प्लेंटिफ्स के F-1 स्टूडेंट रेकॉर्ड टर्मिनेशन के फैसले रद्द करें और हर प्लेंटिफ का F-1 स्टूडेंट रेकॉर्ड SEVIS (Student and Exchange Visitor Information System) में उसी तारीख (31 मार्च 2025 ) से वापस डालें जिस दिन इसे हटाया गया था।
अदालत के आदेश के बाद:
• फेडरल सरकार इन स्टूडेंट्स को सिर्फ इस आधार पर हिरासत में नहीं ले सकती या देश से बाहर नहीं भेज सकती कि उनका F-1 स्टेटस खत्म कर दिया गया था।
• बिना नोटिस दिए किसी भी प्लेंटिफ को अरेस्ट करने, हिरासत में लेने या किसी और जगह भेजने पर भी रोक लगा दी गई है। अगर ऐसा करना जरूरी हो तो पहले कोर्ट और छात्रों के वकीलों को सूचना देनी होगी।
• DHS अदालत की मंजूरी और उचित कानूनी वजह के बिना दोबारा छात्रों का F-1 स्टेटस रद्द नहीं कर सकता।
यह रोक 14 दिन तक लागू रहेगी और जरूरत पड़ने या डिफेंडेंट्स की सहमति से बढ़ाई भी जा सकती है। अदालत ने छात्रों से कहा है कि वे इस आदेश की कॉपी अपनी-अपनी यूनिवर्सिटी को दें।
मुख्य मुकदमा करने वालों में 21 साल के चिन्मय देओरे (भारत), मिशिगन की एक पब्लिक यूनिवर्सिटी के छात्र हैं। उनके साथ शीआंगयुन ब्यू और कियूई यांग (चीन) और योगेश जोशी (नेपाल) भी हैं। इन सभी का कहना है कि उनका F-1 वीजा अचानक कैंसिल कर दिया गया। देओरे ने हलफनामे में लिखा, 'हमें कोई पहले से जानकारी नहीं मिली। एक दिन हम वैध स्टूडेंट थे, अगले दिन हमें डिपोर्ट किए जाने का डर था।'
एक दूसरा क्लास-एक्शन मुकदमा न्यू हैम्पशर की यूएस डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में दायर हुआ है। इसमें रिवियर यूनिवर्सिटी (न्यू हैम्पशर) के मणिकांत पसुला, लिंखिम बाबू, थानुज कुमार गुम्मडावेली और वॉर्सेस्टर पॉलिटेक्निक इंस्टिट्यूट (मैसाचुसेट्स) के दो चीनी छात्र वादी हैं। शिकायत में कहा गया है कि DHS ने एकतरफा और गैरकानूनी तरीके से इमिग्रेशन स्टेटस खत्म किया, जिससे सैकड़ों, शायद हजारों विदेशी छात्र प्रभावित हुए हैं। वीजा रद्द होने से ग्रैजुएशन के करीब पहुंचे कई छात्रों की जिंदगी भी उलट-पुलट हो गई है।
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