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बासमती से दाल तक: टैरिफ से भारतीय अमेरिकियों के किराना बजट पर पड़ेगा असर

अमेरिका में भारतीय किराना स्टोर भारत से विभिन्न प्रकार के उत्पाद आयात करते हैं जिनमें से प्रत्येक को अलग-अलग टैरिफ परिवर्तनों का सामना करना पड़ता है।

बढ़ी कीमतों का तुलनात्मक और संभावित असर। नीला रंग वर्तमान और लाल रंग टैरिफ के बाद की स्थिति दर्शाता है। / Rohit Sharma

आयात आंकड़ों की हालिया समीक्षा के अनुसार भारतीय किराना आयात पर नए अमेरिकी टैरिफ से दुकानों और ग्राहकों दोनों पर असर पड़ने की उम्मीद है। चावल, मसाले और दाल जैसी प्रमुख खाद्य वस्तुओं की कीमतों में बदलाव हो सकता है जिसका असर भारतीय-अमेरिकी परिवारों की रोजमर्रा की किराना खरीदारी पर पड़ेगा।

भारतीय किराना स्टोर पर प्रभाव
आपूर्ति श्रृंखला की समस्या हो या आर्थिक बदलाव, किसी भी व्यवधान से भारतीय किराना स्टोरों में वस्तुओं की कीमतों पर गहरा असर पड़ सकता है। ये स्टोर अक्सर आयातित वस्तुओं में विशेषज्ञता रखते हैं। विशिष्ट मसालों और दालों से लेकर स्नैक्स और रेडी-टू-ईट भोजन तक। यानी जो अमेरिका में प्रवासी भारतीयों के लिए आवश्यक हैं।

भारत पर अतिरिक्त शुल्क लगने से वस्तुओं की लागत में नाटकीय रूप से वृद्धि होगी जिससे स्टोर मालिक को या तो लागत वहन करनी होगी और लाभ मार्जिन कम करना होगा या कीमतें बढ़ानी होंगी। इससे संभावित रूप से मूल्य-संवेदनशील ग्राहक अलग-थलग पड़ सकते हैं।

इसके अलावा यदि स्टोर अपने समुदाय के लिए परिचित और पारंपरिक उत्पाद उपलब्ध नहीं करा पाता है, तो एक सांस्कृतिक केंद्र के रूप में उसकी भूमिका खतरे में पड़ जाती है। स्थानीय भारतीय किराना स्टोरों को कीमतों में जल्दी बदलाव करने की आवश्यकता हो सकती है। कुछ स्टोर अचानक आने वाले झटके से बचने के लिए वैकल्पिक आपूर्तिकर्ताओं की तलाश कर रहे हैं या धीरे-धीरे लागत आगे बढ़ा रहे हैं। भारतीय किराना स्टोर भारत से कई तरह के उत्पाद आयात करते हैं और प्रत्येक को अलग-अलग शुल्क परिवर्तनों का सामना करना पड़ता है।

आंकड़ों से पता चलता है कि कीमतों में सबसे ज़्यादा उछाल चावल और दाल जैसी मुख्य वस्तुओं में आ सकता है जहां शुल्क सबसे ज्यादा बढ़ रहे हैं। मसालों और पैकेज्ड चाय जैसी छोटी वस्तुओं की कीमतों में मामूली वृद्धि होगी, लेकिन नियमित खरीदारों के लिए यह अभी भी महंगी हो सकती है।

ग्राहकों पर प्रभाव
ग्राहकों के लिए किसी भी व्यवधान का सीधा अर्थ है बढ़ी हुई लागत और सीमित विकल्प। जो परिवार बासमती चावल, घी और विभिन्न प्रकार की दालों जैसी अपनी दैनिक रसोई की वस्तुओं के लिए इन दुकानों पर निर्भर हैं, उनके किराने के बिल में भारी वृद्धि हो सकती है।


 

भारतीय-अमेरिकी सुपरमार्केट श्रृंखला पटेल ब्रदर्स का साइनबोर्ड। / Rohit Sharma

लोकप्रिय वस्तुओं की कमी उन्हें कम पसंदीदा विकल्प ढूंढने या कई स्थानों पर जाने के लिए मजबूर कर सकती है, जिससे असुविधा और निराशा बढ़ सकती है। खरीदारों को अक्सर खरीदी जाने वाली आवश्यक वस्तुओं की बढ़ी हुई कीमतें दिखाई दे सकती हैं, जिसके कारण वे कम मात्रा में खरीदारी कर सकते हैं या घरेलू विकल्पों का रुख कर सकते हैं। हालांकि विलासिता की वस्तुओं की कीमतों में मामूली वृद्धि हो सकती है, लेकिन आवश्यक वस्तुओं पर इसका सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है।

कृपया ध्यान दें कि ये कीमतें विशिष्ट ब्रांड, पैकेज के आकार, स्टोर के स्थान और वर्तमान बाजार स्थितियों के आधार पर काफी भिन्न हो सकती हैं। ये कीमतें अमेरिकी भारतीय किराना दुकानों में मिलने वाली सामान्य वस्तुओं के लिए सामान्य बाजार अनुसंधान पर आधारित हैं।

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