डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स और लेबर इकोनॉमिक्स में पीएचडी कर रही भारतीय रिसर्च स्कॉलर अदिति भौमिक को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के मित्तल इंस्टिट्यूट के क्लाइमेट रिसर्च ग्रांट्स से नवाजा गया है। ये इंस्टिट्यूट पहली बार ये ग्रांट दे रहा है। अदिति को चुना जाना वाकई कामयाबी की बात है। अदिति भारत में जेंडर आधारित जलवायु संवदेनशीलता पर एक रिसर्च प्रोजेक्ट की सह-अगुवाई करेंगी। यह कठोर अनुसंधान के माध्यम से आर्थिक और सामाजिक विषमताओं को संबोधित करने के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को मजबूत करती है।
अदिति इस प्रोजेक्ट में हार्वर्ड केनेडी स्कूल की प्रोफेसर एलियाना ला फेरारा के साथ मिलकर काम करेंगी। ये रिसर्च जलवायु परिवर्तन और महिलाओं में आर्थिक असमानता के बीच के रिश्ते को समझने की कोशिश करेगा। इसके लिए पुरानी फाइलें, सैटेलाइट से मिली जानकारी और जनगणना के आंकड़ों का इस्तेमाल किया जाएगा। मकसद ये समझना है कि जलवायु परिवर्तन का भारत की महिलाओं पर कितना ज्यादा असर पड़ रहा है।
अदिति हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पब्लिक पॉलिसी (इकोनॉमिक्स ट्रैक) में पीएचडी कर रही हैं। इससे पहले उन्होंने प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन (इकोनॉमिक्स) में मास्टर्स किया है। कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स और पॉलिटिकल साइंस में बैचलर्स की डिग्री हासिल की है। डेवलपमेंट और लेबर इकोनॉमिक्स में उनकी महारत अनुसंधान अनुदान के लक्ष्यों के साथ मेल खाती है, जो स्थायी और समान नीति समाधान को आकार देने पर केंद्रित है।
मित्तल इंस्टिट्यूट के ग्रांट तीन मुख्य क्षेत्रों में रिसर्च को सपोर्ट करते हैं। इनमें ऊर्जा में बदलाव और नीतियां, फूड सिस्टम, एग्रीकल्चर और जमीन का इस्तेमाल और क्लाइमेट एडैप्टेशन के लिए कानूनी और नीतिगत ढांचा। इस प्रोग्राम का मकसद साउथ एशिया में क्लाइमेट चेंज से जुड़ी जरूरी जानकारी जुटाना और उपाय सुझाना है।
अदिति का प्रोजेक्ट से यह महत्वपूर्ण जानकारी मिलने की उम्मीद है कि जलवायु परिवर्तन आर्थिक और श्रम बाजार के परिणामों में मौजूदा लिंग असमानताओं को कैसे बढ़ाता है। इस रिसर्च में पुराने रिकॉर्ड्स, सैटेलाइट तस्वीरें और जनगणना के आंकड़ों को एक साथ इस्तेमाल किया जाएगा। इससे नीति बनाने वालों को महिलाओं को ध्यान में रखते हुए क्लाइमेट एडैप्टेशन की जरूरी स्ट्रेटेजी बनाने में मदद मिलेगी।
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