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कनाडा : क्या जस्टिन ट्रूडो को रिकॉर्ड चौथे अविश्वास मत का सामना करना पड़ेगा?

हाल के दशकों में किसी भी अन्य सरकार को सदन के एक सत्र में तीन से अधिक अविश्वास प्रस्तावों का सामना नहीं करना पड़ा है।

प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो / X image

कनाडा में सत्तारूढ़ अल्पसंख्यक उदारवादी सरकार भारी उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है। आंतरिक कलह और बाहरी दबावों से परेशान इसके नेता और प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो पार्टी नेतृत्व के दरवाजे किसी और या अपनी पूर्व डिप्टी क्रिस्टिया फ्रीलैंड के लिए छोड़ने को लेकर बन रहे दबाव के आगे झुकने से इनकार कर रहे हैं। इसलिए क्योंकि इस समय वह लिबरल कॉकस के भीतर लोकप्रियता और स्वीकार्यता की लहर पर सवार हैं। 

घटनाक्रम से बेपरवाह प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने न झुकने के अपने इरादे जाहिर करने से पहले अपने परिवार के साथ क्रिसमस मनाने के लिए छुट्टियों पर जाने का फैसला किया है। इस बीच असंतोष से उपजा सियासी घमासान जारी है। 

वह पहले ही तीन अविश्वास प्रस्तावों को 'बेकार' साबित कर चुके हैं। उनके पूर्ववर्ती स्टीफन हार्पर ने 2008 में पिछली अल्पसंख्यक कंजर्वेटिव सरकारों में से एक के दौरान किया था इतने ही अविश्वास प्रस्ताव झेले थे। 

इस बीच जस्टिन ट्रूडो के लिए उपलब्ध विकल्पों पर अटकलें लगाई जा रही हैं जिन्होंने पहले भी एक बार 2020 में हाउस ऑफ कॉमन्स के सत्रावसान की सिफारिश करने के अपने विवेक का प्रयोग किया था। क्या वह एक और सत्रावसान की मांग करेंगे?

कई राजनीतिक विशेषज्ञों का सुझाव है कि वह इस बार भी सत्रावसान की मांग कर सकते हैं क्योंकि लिबरल पार्टी अपने नेता को बदलना चाह रही है और उसे अवकाश के कारण लंबित कामकाज को फिर से शुरू करने के लिए हाउस ऑफ कॉमन्स में लौटने से पहले समय की जरूरत है।

ट्रूडो के पास एक विकल्प यह है कि वह हाउस ऑफ कॉमन्स को यह कहते हुए भंग करने की सिफारिश करें कि इसे कनाडा के लोगों के नए जनादेश की आवश्यकता है।

तीसरा विकल्प जिसे वह अपनाने से बच सकते हैं वह है 27 जनवरी को निर्धारित पुनर्विधानसभा के बजाय हाउस ऑफ कॉमन्स को जल्द से जल्द फिर से शुरू करने के लिए कहना। उस स्थिति में तीनों मुख्य विपक्षी दलों में से किसी के समर्थन के बिना अल्पमत सरकार इसे पा सकती है। 

अलबत्ता, अपने रिकॉर्ड चौथे अविश्वास प्रस्ताव से बचना मुश्किल है। हाल के दशकों में किसी भी अन्य सरकार को सदन के एक सत्र में तीन से अधिक अविश्वास प्रस्तावों का सामना नहीं करना पड़ा है। ऐसे में सबकी नजर पीएम ट्रूडो की छुट्टियां खत्म होने के बाद उठाये जाने वाले कदमों पर रहेगी। 

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