सांकेतिक तस्वीर / image - iStock
विदेश विभाग की एक नई सलाह ने वीजा अस्वीकरण दायरे को बढ़ा दिया है। अमेरिकी दूतावास और वाणिज्य दूतावास के अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे यह तय करते समय आवेदकों की चिकित्सा स्थितियों पर विचार करें कि कौन संयुक्त राज्य अमेरिका में रह सकता है। इस दिशानिर्देश में कहा गया है कि मधुमेह, हृदय रोग, मोटापा या मानसिक स्वास्थ्य जैसी पुरानी बीमारियों से ग्रस्त लोगों को 'सार्वजनिक भार' माना जा सकता है, अगर उनके स्वास्थ्य के कारण उन्हें महंगी, दीर्घकालिक सरकारी देखभाल की आवश्यकता हो सकती है तो।
यह कदम पिछले चलन से एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है, जहां चिकित्सा जांच मुख्यतः संक्रामक रोगों और टीकाकरण अनुपालन पर केंद्रित थी। अब, अधिकारियों को यह देखने के लिए कहा जा रहा है कि क्या आवेदक का समग्र स्वास्थ्य और वित्तीय क्षमता भविष्य में सार्वजनिक संसाधनों पर बोझ डाल सकती है। उनसे यह भी कहा गया है कि वे समय के साथ आवेदक की इलाज के लिए भुगतान करने की क्षमता का भी आकलन करें।
हालांकि यह निर्देश अधिकांश वीजा श्रेणियों पर लागू होता है किंतु विशेषज्ञों का कहना है कि इसका सबसे अधिक असर स्थायी निवास के आवेदकों, जैसे कि परिवार- या रोजगार-आधारित ग्रीन कार्ड, पर पड़ेगा। अस्थायी वीजा धारकों पर इसका असर कम होने की संभावना है, क्योंकि उन्हें आमतौर पर अपने प्रवास के दौरान स्वास्थ्य बीमा रखना आवश्यक होता है।
जहां तक भारतीय नागरिकों का प्रश्न है इसके निहितार्थ गंभीर हैं। भारत में मधुमेह और चयापचय संबंधी बीमारियों की दर दुनिया में सबसे ज्यादा है। इसका मतलब है कि बड़ी संख्या में योग्य आवेदकों को कड़ी जांच का सामना करना पड़ सकता है। यहां तक कि अच्छी तरह से प्रबंधित स्थितियां भी अमेरिका में संभावित स्वास्थ्य देखभाल लागतों को वहन करने की उनकी क्षमता पर सवाल उठा सकती हैं।
आव्रजन वकीलों ने चेतावनी दी है कि यह नीति उन वीजा अधिकारियों को व्यापक विवेकाधिकार देती है, जो चिकित्सकीय रूप से प्रशिक्षित नहीं हैं, जिससे असंगत या व्यक्तिपरक निर्णयों का जोखिम बढ़ जाता है। यह नीति मौजूदा अमेरिकी नियमों के साथ भी विरोधाभासी प्रतीत होती है, जो भविष्य की चिकित्सा लागतों के बारे में 'क्या होगा अगर' निर्णयों पर रोक लगाते हैं, जिससे विभिन्न दूतावासों में इस दिशा-निर्देश को कैसे लागू किया जाएगा, इस बारे में अस्पष्टता पैदा होती है।
आलोचकों का तर्क है कि यह प्रभावी रूप से आव्रजन नीति में स्वास्थ्य-आधारित फिल्टर पेश करता है, जबकि समर्थकों का कहना है कि यह करदाताओं को भविष्य की स्वास्थ्य देखभाल लागतों से बचाता है। अमेरिका में बसने की उम्मीद रखने वाले कई भारतीय परिवारों के लिए यह अनिश्चितता की एक और परत है जहां चिकित्सा इतिहास किसी के अमेरिकी सपने को आकार देने में योग्यता, शिक्षा या धन जितना ही महत्वपूर्ण हो सकता है।
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