रटगर्स यूनिर्सिटी की रिपोर्ट 'अमेरिका में हिंदुत्व' (Hinduism in America) को लेकर जिन तथ्यों को जिक्र किया गया है, उनकी पारदर्शिता पर ही सवाल उठ रहे हैं। ऐसे में इस रिपोर्ट को विद्वतापूर्ण नहीं माना जा सकता। दरअसल, यह एक वैचारिक हथियार है जिसे अकादमिक मुखौटा पहनाया गया है। इस रिपोर्ट में लेखकों की पहचान तक नहीं बताई गई है।
हिंदुत्व पर रटगर्स की रिपोर्ट विवेकपूर्ण नहीं मानी जा सकती है, क्योंकि इसमें जिन तथ्यों को जिक्र किया गया है, उनकी पारदर्शिता पर ही सवाल उठ रहे हैं। ऐसे में इस रिपोर्ट को विद्वतापूर्ण नहीं माना जा सकता। दरअसल, यह एक वैचारिक हथियार है जिसे अकादमिक मुखौटा पहनाया गया है। इस रिपोर्ट में लेखकों की पहचान तक नहीं बताई गई है।
हिंदुत्व और हिंदू धर्म आरोप निराधार
हिंदुत्व और हिंदू धर्म पर रटगर्स विश्वविद्यालय की रिपोर्ट तथ्यों के अभाव में अमेरिकी विश्वविद्यालय की विश्वसनीयता के साथ खिलवाड़ करने के साथ एक पूरी धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा हिंदुत्व, और हिंदू धर्म को कलंकित करने का प्रयास करती है। यह गुमनाम रिपोर्ट, संक्षेप में, हिंदू सभ्यतागत पहचान, भारतीय लोकतांत्रिक बहुलता और हिंदू प्रवासी गरिमा के खिलाफ संघर्ष को बढ़ावा देती है। जिन तथ्यों को जिक्र किया गया है,वे केवल निष्क्रिय और असहमति से भरे हैं।
इसीलिए हम ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र कर रहे हैं। रटगर्स की रिपोर्ट भारत की इस कार्रवाई को लेकर अतिशयोक्तिपूर्ण बयानबाजी को बेअसर और विरोध करने की एक रणनीतिक पहल हो सकती है।
हाल ही में हिंदू बहुसंख्यक राष्ट्र भारत ने हिंदुओं के विरुद्ध सीमा पार आतंकवाद के जवाब में एक साहसिक कार्रवाई की। ऑपरेशन सिंदूर भारत की संप्रभुता की रक्षा करने और आक्रमणकारियों को यह बताने के लिए था कि भारत आतंकवाद को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करता। रटगर्स रिपोर्ट हजारों लाखों साल पुरानी परंपरा को बदनाम करने का प्रयास करती है। हिंदू समुदाय पर यह एक बौद्धिक और वैचारिक हमला ही है।
रटगर्स रिपोर्ट एक रणनीतिक पहल
हिंदू समुदाय पहले से ही व्यापक वैचारिक हमले का सामना कर रहा है। ऐसे में रटगर्स की रिपोर्ट ने आग में घी डालने का कार्य किया है। यह हिंदू धर्म और हिंदुत्व को बदनाम करने की एक रणनीति है, जिसके तहत शिक्षाविदों, पश्चिमी मीडिया में हिंदू-विरोधी विचारों वाले पत्रकारों और उत्तरी अमेरिका के कई संगठनों ने एक साथ मिलकर काम किया है।
ऑपरेशन सिंदूर हिंदुओं जीवन के सभी क्षेत्रों में समन्वित कार्रवाई का आह्वान है। सिंदूर हिंदुओं के लिए केवल एक नारा या पवित्र प्रतीक नहीं है, बल्कि एक बहुआयामी प्रतिक्रिया तंत्र है जिसका उद्देश्य बौद्धिक संतुलन बहाल करना, नागरिक स्वतंत्रता की रक्षा करना और वैश्विक परिदृश्य में हिंदू विचारों की वैधता को फिर से स्थापित करना है।
रिपोर्ट के दावे तथ्यहीन
ऑपरेशन सिंदूर इसलिए भी अहम है क्योंकि यह ठोस और सामूहिक कार्रवाई की मांग करता है। लेकिन रटगर्स की रिपोर्ट इसे निष्प्रभावी पर जोर देती है। ऐसे में इस रिपोर्ट में जिन तथ्यहीन दावे हैं उन्हें विद्वानों, सामुदायिक नेताओं और छात्रों को सामने लाना चाहिए।
सभी उम्र के हिंदुओं, चाहे वे कहीं से भी आए हों (भारत, नेपाल, बांग्लादेश, कैरिबियन या कहीं और से) और संगठनों को तथ्य के रूप में गढ़ी गई कल्पना के आधार पर चुप रहने या झुकने के लिए शर्मिंदा नहीं किया जाना चाहिए। हम DEI प्रशिक्षणों में जाति पर इक्वैलिटी लैब्स जैसी रिपोर्टों के इस्तेमाल की अनुमति नहीं दे सकते और न ही देनी चाहिए। इसी तरह, शैक्षणिक स्वतंत्रता की आड़ में कक्षा में हिंदू धर्म को बदनाम करने की छूट लेने वाले किसी भी शैक्षणिक संस्थान को रोकना होगा।
निष्पक्षता के लिए यह भी आवश्यक है कि आम जनता को हिंदू धर्म के मूल सिद्धांतों और धर्म की विविधता के बारे में ज्ञान से लैस किया जाए, इससे पहले कि झूठ फैल जाए। यहीं पर जमीनी स्तर पर वकालत महत्वपूर्ण है। कक्षा में युवा और उर्वर दिमागों को दी जाने वाली किसी भी गलत सूचना या भ्रामक जानकारी पर रोक लगाने के लिए K-12 में सामाजिक अध्ययन पाठ्यक्रम पर नजर रखना हिंदू केंद्रित समूहों का हिस्सा होना चाहिए। इसलिए, फैक्ट शीट, काउंटर स्टडी और इन्फोग्राफिक्स विकसित किए जाने चाहिए और उन्हें सभी प्लेटफार्मों पर व्यापक रूप से साझा किया जाना चाहिए।
रिपोर्ट का खंडन जरूरी
इस रिपोर्ट को खंडित करना, झूठ और परोक्ष संकेतों से भरी इसकी वैचारिक, संस्थागत और बौद्धिक संरचना को खंडित करना है। रटगर्स रिपोर्ट के पाठकों को 'हिंदुत्व का विघटन' समिट की याद दिलानी होगी। चर्चा में शामिल रिपोर्ट एक अंतरराष्ट्रीय वैचारिक नेटवर्क का नवीनतम परिणाम है जिसमें कट्टरपंथी वामपंथी शिक्षाविद, उत्तर-औपनिवेशिक सिद्धांतकार, भारत-विरोधी कार्यकर्ता और जाति-आधारित गैर-सरकारी संगठन शामिल हैं।
रिपोर्ट के भाग 2 में 400 से अधिक नामों का जिक्र होना चाहिए, जिन्होंने न केवल HAF के अस्तित्व का विरोध किया, बल्कि उन्होंने एक ऐसी विश्वदृष्टि का निर्माण करने में भी सहयोग किया जहां हिंदुत्व और विस्तार से हिंदू धर्म को एक खतरनाक, ब्राह्मणवादी, राष्ट्रवादी शक्ति के रूप में देखा जाता है जो उदार लोकतंत्र के विपरीत है।
हमें इस पारिस्थितिकी तंत्र का पता लगाना और उसे उजागर करना होगा। इन लेखकों और ऐसी परियोजनाओं को कौन वित्तपोषित करता है? उनकी संबद्धताएं क्या हैं? उनके राजनीतिक और वैचारिक उद्देश्य क्या हैं? हमें उनके आख्यानों के अविवेकी मीडिया प्रवर्धन को चुनौती देनी होगी और व्यापक जनता को यह दिखाना होगा कि छद्म विद्वत्ता को एक हथियार के रूप में कैसे इस्तेमाल किया जा रहा है।
हमें सैद्धांतिक ढांचे को भी तोड़ना होगा—नाज़ीवाद के साथ आलसी समानताएं, भारतीय सामाजिक वास्तविकताओं पर अमेरिकी नस्लीय द्वैधता का बेतुका आरोपण, एक स्वदेशी बहुलवादी लोकाचार को फासीवाद के व्यंग्य में बदलना...ये अकादमिक त्रुटियां नहीं हैं, बल्कि जानबूझकर किए गए कृत्य हैं।
रटगर्स की रिपोर्ट का विरोध क्यों?
इस रिपोर्ट को लेकर हमें दृढता के साथ विरोध करना होगा। मौन रहकर ऐसी रिपोर्टों को बिना चुनौती दिए प्रसारित होने देना, झूठ को बढ़ावा देने जैरा है। हमें कक्षा और न्यायालय में, बोर्डरूम और सोशल मीडिया पर उनका विरोध करना होगा। हिंदू छात्रों को कानूनी साधनों, बातचीत के बिंदुओं और बोलने के लिए भावनात्मक आत्मविश्वास के साथ समर्थन देना होगा।
हिंदुत्व को बदनाम करने की कोशिश
यह समझना ज़रूरी है कि यह रिपोर्ट इतने अधिक आरोप एक धर्म को लेकर क्यों लगाती है। इसकी वजह स्पष्ट है, क्योंकि इसे एक अकादमिक कैंपस की आड़ में प्रकाशित किया गया है। इसमें सिर्फ सिलेक्टिव घटनाओं, उदाहरणों का जिक्र है, जिसके जरिए हिंदुत्व को फासीवाद, अधिनायकवाद और वर्चस्ववाद जोड़ा जाता है। पूरी रिपोर्ट पर नजर डालें तो यह निष्पक्ष तो बिल्कुल नहीं, बल्कि इरादे भी खतरनाक हैं।
ऐसे में ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सार्वजनिक कार्यक्रम, पैनल और प्रकाशन, बहस और सच्चाई को उजागर करने के प्रत्यक्ष मंच बनने चाहिए। हमें विभिन्न धर्मों के सहयोगियों, नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पैरोकारों की एकजुटता की आवश्यकता है।
यह भावनात्मक रूप से अत्याधिक प्रभावशाली है क्योंकि इसने नैतिक आतंक पैदा किया है। यह हिंदुत्व को अमेरिका और प्रवासी भारतीयों के बीच एक बढ़ते खतरे के रूप में प्रस्तुत करता है, जिससे हिंदू छात्रों, कार्यकर्ताओं और गैर-राजनीतिक समुदाय के सदस्यों में भी भय और शर्मिंदगी पैदा होती है। यह रिपोर्ट एक ऐसा माहौल तैयार करता है जहां हिंदुओं की आत्म-अभिव्यक्ति संदिग्ध होने के साथ ऐसे आध्यात्मिक बातों को कट्टरता का प्रतीक माना जाता है।
भेदभाव को बढ़ावा देती है रटगर्स रिपोर्ट
रटगर्स रिपोर्ट की हिंदूपैक्ट और अमेरिकन हिंदूज अगेंस्ट डिफेमेशन (AHD) आलोचना की है। संगठनों ने इसे अकादमिक विद्वत्ता नहीं, बल्कि एक "राजनीतिकृत और वैचारिक रूप से आरोपित आख्यान" बताया और कहा कि रिपोर्ट हिंदू-विरोधी होने के साथ पूर्वाग्रह से ग्रस्त है। यह भेदभाव को भी बढ़ावा देती है।
हाल में पश्चिमी देशों के समाजों में हिंदू-विरोधी घृणा अपराधों से जुड़ी चुप्पी तोड़नी चाहिए। ऐसे में पाठकों को को हाल में हिंदू विरोध की पड़ताल को पर लिखे गए लेख पढ़ने चाहिए।
मिटाए गए तथ्यों ना किया जाए बर्दाश्त
रटगर्स रिपोर्ट किसी मायने में बुद्धिमत्तापूर्ण नहीं है। यह सिर्फ एक सभ्यता पर टारगेट है। इसने ना रिफ करोड़ों की आबादी के आस्था को चोट पहुंचाई बल्कि मानहानि भी की। ऐसे में इसका दृढ़ता से विरोध किया जाना चाहिए। इस पर हम बहस से नहीं डरते लेकिन जांच-पड़ताल के नाम पर मिटाए गए तथ्यों को बर्दाश्त नहीं करेंगे।
ऑपरशन सिंदूर रेत के बीच उन लोगों के लिए जीवन रेखा है, जिनके परिवार के निर्दोष सदस्यों को मिटाने की कोशिश की गई। यह सत्य और बहुलवाद में विश्वास रखने वाले हर एक बुद्धिजीवी, छात्र और जन सामान्य से संघर्ष का आह्वान है।
रटगर्स रिपोर्ट का सच बताने की जरूर
अब समय दुनिया को यह बताने का है कि हिंदू धर्म और हिंदुत्व को नष्ट नहीं किया जा सकता, क्योंकि यहप्राचीन धर्म हजारों लाखों वर्षों से अस्तित्व में है। हमें हिंदू अधिकारों के लिए चुपचाप नहीं बल्कि बल्कि ऑपरेशन सिंदूर जैसी दृढ़ कार्रवाई की तरह खड़े रहना होगा और हिंदू धर्म के खिलाफ रटगर्स रिपोर्ट जैसे कथित तथ्यों को खारिज करना होगा। अगर हिंदू धर्म की रक्षा नहीं करते और भारत के स्वर्णिम युग को पुनर्स्थापित करने के लिए परम पावन नहीं होते, तो यह एक हास्यास्पद बात होगी।
नोट: लेखक विषयों पर शोध और कंटेंट में सुधार के लिए ChatGPT का प्रयोग करते हैं।
(इस लेख में व्यक्त किए गए विचार और राय लेखक के अपने हैं और जरूरी नहीं कि वे न्यू इंडिया अब्रॉड की आधिकारिक नीति या स्थिति को दर्शाते हों।)
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login