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10 साल बाद... पीएम मोदी का फिर है स्वागत

प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा दुनिया के सबसे पुराने और सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच विशेष संबंधों पर प्रकाश डालने का एक अवसर है।

हाउडी मोदी टेक्सास कार्यक्रम के दौरान उत्साहित प्रवासी / facebook.com/narendramod
दस साल पहले भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने (जून 2014 में) पदभार संभालने के बाद अमेरिका की अपनी पहली यात्रा पर एक यादगार भाषण दिया था। मैडिसन स्क्वायर गार्डन में 'मो-दी!' के नारों के साथ प्रधानमंत्री का जोरदार स्वागत हुआ। मो-दी!' यह नारा न्यूयॉर्क शहर के उस प्रतिष्ठित आयोजन स्थल से गूंज रहा था जो देशभर से आए भारतीय-अमेरिकियों से खचाखच भरा हुआ था।

प्रधानमंत्री मोदी ने टिप्पणी की कि कैसे भारत सपेरों की भूमि से एक ऐसे देश में बदल गया है जिसके युवा एक 'माउस' के दम पर दुनिया दौड़ा रहे हैं। उन्होंने सुशासन पर ध्यान केंद्रित किया और भारत की तीन अनूठी शक्तियों को 3 'डी' के माध्यम से रेखांकित किया- यानी लोकतंत्र, जनसांख्यिकी और मांग। (डेमोक्रेसी, डेमोग्राफी, डिमांड)
 
दस साल बाद उनके नेतृत्व में भारत दुनिया में सबसे तेजी से विकसित होने वाले प्रमुख राष्ट्र के रूप में लगातार मजबूत होता जा रहा है जिसने चंद्रमा के अंधेरे पक्ष पर एक अंतरिक्ष यान भी उतारा है। 2014 में जीडीपी में नौवें स्थान से भारत अब दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। प्रधानमंत्री ने भारत की आजादी के सौ साल पूरे होने का जश्न मनाने के लिए 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है।

भारत की तीव्र आर्थिक वृद्धि जितनी महत्वपूर्ण है उतनी ही महत्वपूर्ण भूमिका भारत अब वैश्विक मंच पर निभा रहा है। राष्ट्रपति बाइडेन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के आधिपत्य का मुकाबला करने और चुनौती देने के लिए क्वाड देशों के विशेष क्लब के अन्य नेताओं के साथ पीएम मोदी की मेजबानी करेंगे। इसमें क्लब में संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, भारत और जापान शामिल हैं।

कुछ मुद्दों पर मतभेदों और असहमतियों के बावजूद भारत-अमेरिका संबंध रणनीतिक हितों और लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में विश्वास जैसे साझा बुनियादी मूल्यों के आधार पर मजबूत स्थिति में बने हुए हैं।

यह यात्रा अमेरिका में आगामी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे की परवाह किए बिना उस रिश्ते को मजबूत करने का एक अवसर है। पीएम मोदी ने पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प के साथ एक मजबूत रिश्ता बनाया था। ट्रम्प की आखिरी अंतरराष्ट्रीय राजकीय यात्रा 2020 में अहमदाबाद में 'नमस्ते ट्रम्प' रैली के साथ भारत की थी। इस बीच 2023 में जी20 शिखर सम्मेलन के लिए बाइडेन की भारत यात्रा और जून 2023 में प्रधान मंत्री मोदी की व्हाइट हाउस की ऐतिहासिक यात्रा दोनों देखी गईं।

पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प को अक्सर भारत के प्रति अधिक मित्रवत देखा जाता है। संभवतः यह उस समय की बात है जब उन्होंने खुद को 'हिंदुओं का बहुत बड़ा प्रशंसक' घोषित किया था और कहा था कि 'मैं भारत का बहुत बड़ा प्रशंसक हूं... बड़ा, बहुत बड़ा।' इस बीच एक व्यापक रूप से साझा की गई कहानी है कि रिपब्लिकन प्रशासन के तहत भारत-अमेरिका संबंध बेहतर रहे हैं। उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को भारतीय लोकतंत्र और मानवाधिकारों से संबंधित मुद्दों पर टिप्पणियों के आधार पर कुछ असहज रूप मे देखा जाता है, जिन्होंने भारत में विवाद पैदा कर दिया है।

इनमें से कई चिंताएं अतिरंजित हैं और रिपब्लिकन और डेमोक्रेट दोनों स्पष्ट रूप से मानते हैं कि भारत के साथ मजबूत संबंध महत्वपूर्ण और मूल्यवान हैं। जैसा कि पूर्व राजदूत हर्ष वर्धन श्रृंगला ने कहा है- नवंबर में चाहे कोई भी जीते, भारत की स्थिति सुरक्षित है... भारत के लिए यह हर हाल में जीत है।

उपराष्ट्रपति हैरिस ने अपनी भारतीय जड़ों पर गर्व व्यक्त किया है और यहां तक कि 2022 में व्हाइट हाउस के अब तक के सबसे बड़े दिवाली समारोह की मेजबानी भी की है। भारतीय-अमेरिकी राजनेताओं से यह उम्मीद करना अनुचित है कि वे अपने मूल देश के प्रति कोई विशेष अनुकूलता दिखाएंगे। खासकर तब जब उनकी पहली वफादारी उस राष्ट्र के हितों के प्रति है जिसके संविधान के प्रति उन्होंने निष्ठा की शपथ ली है।

प्रधानमंत्री मोदी निस्संदेह दोनों पक्षों के निर्वाचित अधिकारियों से मिलेंगे, जैसा कि एक लोकतांत्रिक राष्ट्र की यात्रा के अनुरूप है। यह भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत करने में भारत के दीर्घकालिक हितों की सर्वोत्तम सेवा करेगा। समोसा कॉकस के साथ बैठकें भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं, जिनमें इलिनोइस के राजा कृष्णमूर्ति और मिशिगन के श्री थानेदार जैसे कांग्रेसी शामिल हैं, जो भारतीय-अमेरिकियों के करीबी और प्रिय अमेरिकी नीतिगत मुद्दों पर पर्दे के पीछे से काम करने में सफल रहे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा दुनिया के सबसे पुराने और सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच विशेष संबंधों पर प्रकाश डालने का एक अवसर है। 'दोनों राष्ट्र मिलकर वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं, और न केवल हमारे दोनों देशों के लोगों, बल्कि पूरे विश्व की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने में मदद कर सकते हैं।' यह बात प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल व्हाइट हाउस में कही थी। तथास्तु... ऐसा ही हो।

(राम केलकर शिकागो स्थित स्तंभकार और निवेश पेशेवर हैं)

 

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