गाजा में हालात दिन-प्रतिदिन भयावह होते जा रहे हैं। भुखमरी और मानवीय संकट ने लोगों को टूटने पर मजबूर कर दिया है। वर्ल्ड पीस फाउंडेशन के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर एलेक्स डी वाल ने चेताया है कि भूख सिर्फ पेट खाली नहीं करती, बल्कि इंसान को अपमानित और अमानवीय हालात में धकेल देती है।
भूख और अपमान की त्रासदी
एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिसर्चर बुदूर हसन ने बताया कि गाजा के लोगों को जबरन दूर-दराज़ बनाए गए राहत केंद्रों पर 10-15 मिनट में पहुंचने को कहा जाता है, जिससे लोग थोड़े से भोजन के लिए आपस में भिड़ जाते हैं। कई बार तो आटा और राशन खून से सना हुआ मिलता है—क्योंकि ज़रूरतमंदों को इस दौरान गोली मार दी जाती है।
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गाजा के लोग, जिनकी संस्कृति आपसी सहयोग और मदद पर टिकी है, अब मजबूरी में परिवार के भीतर ही रोटी बांटने के बजाय उसी पर लड़ाई कर रहे हैं। यही भुखमरी की सबसे बड़ी त्रासदी है।
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