भारत के केरल राज्य से ताल्लुक रखने वाली बायोमेडिकल इंजीनियर डॉ. अरथिरम रामचंद्र कुरुप शशिकला ने ब्रिटेन में कमाल कर दिखाया है। उन्हें यूके रिसर्च एंड इनोवेशन (UKRI) की ओर से £2.2 मिलियन (करीब 23 करोड़ रुपये) की प्रतिष्ठित फ्यूचर लीडर्स फेलोशिप प्रदान की गई है। यह सम्मान उन्हें ऐसी अत्याधुनिक ‘बैटरी-लेस हीलिंग टेक्नोलॉजी’ विकसित करने के लिए मिला है, जो शरीर की ऊर्जा से ही काम करेगी।
डॉ. शशिकला यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रैडफोर्ड में बायोमेडिकल इंजीनियरिंग की असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। वह आने वाले चार सालों में एक ऐसा बोन इम्प्लांट विकसित करेंगी, जो शरीर की हरकतों से बिजली पैदा करेगा। इस तकनीक के जरिए भविष्य में बिना बैटरी या तार के पेसमेकर चलाना या हड्डियों की ग्रोथ को तेज करना संभव हो सकेगा। उनका शोध ‘पाइज़ोइलेक्ट्रोसीयूटिक्स’ नामक नए क्षेत्र पर आधारित है, जिसमें ऐसे स्मार्ट मटीरियल्स बनाए जाते हैं जो शरीर के साथ तालमेल बैठाकर उपचार करते हैं। डॉ. शशिकला के शब्दों में, हम शरीर का इलाज अब उस तरीके से करना चाहते हैं जो शरीर के खिलाफ नहीं, बल्कि उसके साथ काम करे।
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उन्होंने कहा कि यह तकनीक न सिर्फ मरीजों को तेज़ रिकवरी और बेहतर मूवमेंट में मदद करेगी, बल्कि यह सस्टेनेबल हेल्थकेयर की दिशा में भी बड़ा कदम है — क्योंकि यह डिस्पोजेबल बैटरी वाले उपकरणों की जगह लेगी, जिससे NHS (ब्रिटिश हेल्थ सर्विस) के खर्च और कार्बन उत्सर्जन दोनों घटेंगे। इस ग्रांट के साथ, यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रैडफोर्ड में अब एक नया Piezoelectricity Research Cluster स्थापित किया जाएगा।
इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड सोशल केयर के डायरेक्टर प्रो. अनंत पराड़कर ने कहा, पाइज़ोइलेक्ट्रिक बायोमटीरियल्स हेल्थकेयर में एक पराडाइम शिफ्ट हैं — ये न केवल हड्डियों को ठीक कर सकते हैं बल्कि शरीर के अंदर की डिवाइस को भी ऊर्जा दे सकते हैं। प्रो. शरीफ एल-खमीसी, यूनिवर्सिटी के प्रो-वाइस चांसलर (रिसर्च एंड इनोवेशन), ने इसे यूनिवर्सिटी और महिलाओं की वैज्ञानिक उपलब्धियों के लिए मील का पत्थर बताया। डॉ. शशिकला की टीम में पीएचडी छात्र, शोध सहयोगी और क्लिनिकल पार्टनर शामिल होंगे — जिनके साथ लीड्स, कैम्ब्रिज, यूसी सैन डिएगो और समिट मेडिकल लिमिटेड जैसी संस्थाएं सहयोग कर रही हैं।
केरल की जड़ों से दुनिया तक
डॉ. शशिकला ने अपने लिंक्डइन पोस्ट में लिखा, मैं बेहद सम्मानित और विनम्र महसूस कर रही हूं कि मुझे यूकेआरआई फ्यूचर लीडर्स फेलोशिप मिली है। एक छोटे से केरल के गांव से आने वाली मिडिल क्लास फैमिली की बेटी के लिए यह पल किसी सपने से कम नहीं है। उन्होंने यह उपलब्धि अपने पति, बेटी, माता-पिता और गुरुओं को समर्पित करते हुए कहा, इस उपलब्धि के पीछे सिर्फ मेहनत नहीं, बल्कि प्यार, सहयोग और त्याग है।
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