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भारतीय मूल के 22 वर्षीय युवा बने सबसे कम उम्र के ‘सेल्फ-मेड अरबपति’

आदर्श हिरेमठ और सूर्या मिधा ने अपने तीसरे सह-संस्थापक के साथ मिलकर एआई आधारित हायरिंग कंपनी Mercor की स्थापना की है।

मर्कोर के संस्थापक हल्के-फुल्के पल को साझा करते हुए / Surya Midha via LinkedIn

दो भारतीय-अमेरिकी युवाओं ने इतिहास रच दिया है। सिर्फ 22 साल की उम्र में आदर्श हिरेमठ और सूर्या मिधा दुनिया के सबसे कम उम्र के सेल्फ-मेड अरबपति बन गए हैं। उन्होंने यह रिकॉर्ड मेटा के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग से भी पहले तोड़ दिया।

इन दोनों ने अपने तीसरे सह-संस्थापक ब्रेंडन फूडी के साथ मिलकर Mercor नामक एआई-आधारित भर्ती (AI recruitment) स्टार्टअप शुरू किया था, जिसकी वैल्यूएशन अब 10 अरब डॉलर (10 billion USD) तक पहुंच गई है। यह वैल्यूएशन कंपनी को Felicis Ventures द्वारा नेतृत्व किए गए 350 मिलियन डॉलर के फंडिंग राउंड के बाद हासिल हुई।

Mercor के CEO ब्रेंडन फूडी ने घोषणा करते हुए कहा कि हम अपनी सीरीज C फंडिंग की घोषणा कर रहे हैं जिसका नेतृत्व Felicis ने किया है और इसमें Benchmark, General Catalyst, तथा Robinhood Ventures ने भी भाग लिया। इस राउंड के बाद Mercor की वैल्यूएशन 10 अरब डॉलर तक पहुंच गई है जो हमारी सीरीज B से पांच गुना अधिक है।

कंपनी के LinkedIn पोस्ट में कहा गया कि 2023 में अपनी स्थापना के बाद से ही हमारा मिशन है कि एआई के साथ बदलती श्रम बाजार की दिशा को नया रूप दिया जाए। हमारा उद्देश्य दुनिया भर के विशेषज्ञों को एआई इकोनॉमी को आगे बढ़ाने वाले लैब्स और एंटरप्राइज से जोड़कर मानव क्षमता को खोलना है।

बता दें कि आदर्श हिरेमठ (CTO), सूर्या मिधा (Chairman) और ब्रेंडन फूडी (CEO) तीनों के पास कंपनी में लगभग 22-22% हिस्सेदारी है। शुरुआत में इन तीनों ने Harvard और Georgetown University के अपने हॉस्टल रूम्स से ही यह बिजनेस शुरू किया था और बिना किसी बाहरी निवेश के इसे 25 देशों में फैले 1 लाख से अधिक उपयोगकर्ताओं और 7-फिगर वार्षिक रेवेन्यू तक पहुंचा दिया।

Mercor एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म है जो रिज्यूमे, GitHub और निजी पोर्टफोलियो वेबसाइट्स से जानकारी लेकर उम्मीदवारों की संपूर्ण प्रोफाइल तैयार करता है। इसके एआई इंटरव्यूअर्स उम्मीदवारों के साथ विस्तृत साक्षात्कार कर उपयुक्त व्यक्ति की पहचान करते हैं।

वर्तमान में Mercor 30,000 से अधिक कॉन्ट्रैक्टर्स को मैनेज करता है जिन्हें प्रतिदिन कुल मिलाकर लगभग 1.5 मिलियन डॉलर का भुगतान किया जाता है। कंपनी का कहना है कि उसका सिस्टम एजेंट्स को कोड से परे मानव सोच, अनुभव और संदर्भ समझना सिखाता है।

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