दिवाली की रात के पटाखों ने एक बार फिर दिल्ली की हवा को जहरीला बना दिया। 21 अक्टूबर की सुबह राजधानी की हवा में ज़हर घुल गया। प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की तय सीमा से 56 गुना तक अधिक दर्ज किया गया।
स्विस मॉनिटरिंग एजेंसी IQAir के अनुसार, तड़के 21 अक्टूबर को दिल्ली के कई इलाकों में PM 2.5 कणों का स्तर 846 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गया। ये सूक्ष्म कण फेफड़ों में गहराई तक पहुंचते हैं और कैंसर सहित कई बीमारियों का कारण बन सकते हैं।
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हालांकि सुबह तक हवा की स्थिति में थोड़ी सुधार हुआ और औसत स्तर घटकर 320 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा, लेकिन यह अब भी WHO के मानक से 23 गुना ज्यादा था। यह स्तर दिल्ली की सर्दियों के दौरान “सामान्य” माने जाने वाले खतरनाक प्रदूषण के बराबर है।
इस साल सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली पर ग्रीन पटाखों की अनुमति दी थी। ऐसे पटाखे जो कम प्रदूषण फैलाने का दावा करते हैं। लेकिन पिछले वर्षों की तरह इस बार भी बड़े पैमाने पर प्रतिबंधित पटाखों का इस्तेमाल हुआ। पर्यावरण विशेषज्ञों ने इन “ग्रीन” पटाखों की प्रभावशीलता पर भी सवाल उठाए हैं।
दिल्ली कई सालों से दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानियों में गिनी जाती है। जर्नल द लांसेट प्लानेटरी हेल्थ के एक अध्ययन के अनुसार, 2009 से 2019 के बीच भारत में 38 लाख लोगों की मौतें वायु प्रदूषण से जुड़ीं थीं।
संयुक्त राष्ट्र की बाल एजेंसी यूनिसेफ ने चेतावनी दी है कि जहरीली हवा बच्चों के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुकी है। यह तीव्र श्वसन संक्रमणों के मामलों में तेज़ी से वृद्धि कर रही है।
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