लक्ष्मी चंदना, 1 अक्टूबर, 2025 को हैदराबाद, भारत में, उपयुक्त जीवनसाथी की तलाश के लिए एक मैचमेकिंग एजेंसी की मालकिन वनजा राव को ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले अपने भाई की तस्वीर दिखाती हुई। / REUTERS/Almaas Masood
सिद्धि शर्मा अमेरिका में एक उच्च पदस्थ भारतीय नागरिक से शादी करना चाहती थीं। लेकिन भारत के उत्तरी हरियाणा राज्य की 19 वर्षीय मेडिकल छात्रा ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प द्वारा आव्रजन नीति पर हाल ही में की गई कार्रवाई की सुर्खियां देखने के बाद यह विचार त्याग दिया।
बिना कारण बताए बकौल शर्मा- मैंने हमेशा शादी के बाद अमेरिका में बसने का सपना देखा था, मगर ट्रम्प ने मेरे लिए दरवाजा बंद कर दिया है।
मैचमेकर्स, शिक्षाविदों और भावी वर-वधू के अनुसार, अमेरिका की सख्त आव्रजन नीतियों, खासकर H-1B कुशल-कर्मचारी वीजा के कारण, भारत में रहने वाले परिवार अपने बच्चों की शादी अमेरिका में रहने वाले भारतीय नागरिकों से करने के लिए कम इच्छुक हो रहे हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि संभावित साथी अपनी नौकरी या आव्रजन स्थिति खो सकते हैं।
स्वदेश और विदेश में रहने वाले भारतीय नागरिकों के बीच विवाहों का कोई आधिकारिक सरकारी आंकड़ा उपलब्ध नहीं है।
विशेष विवाह-सम्बन्धी सेवा वोज फॉर इटर्निटी की संस्थापक अनुराधा गुप्ता ने कहा कि आव्रजन नीतियां भले ही वॉशिंगटन में लिखी जाती हों, लेकिन इनका असर भारतीय परिवारों में खाने की मेजों पर शादियों की बातचीत के दौरान साफ दिखाई देता है।
परंपरागत रूप से, भारत में विवाह परिवार द्वारा तय किए जाते हैं, जहां रिश्तेदार और विवाह-सम्बन्धी एजेंसियां 'अरेंज्ड' विवाह की सुविधा प्रदान करती हैं। हालांकि प्रेम-सम्बन्धी विवाह, खासकर शहरों में, तेजी से बढ़ रहे हैं, फिर भी परिवार अक्सर सहयोगी भूमिका निभाते हैं।
बहुमूल्य संभावनाओं से लेकर अनिश्चित मेल तक
भारतीय सरकार के आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका में दुनिया का सबसे बड़ा भारतीय प्रवासी समुदाय है, जिसमें लगभग 21 लाख अनिवासी भारतीय (NRI) शामिल हैं, जो विवाह के सबसे अधिक मांग वाले विकल्पों में से एक हैं।
जनवरी में राष्ट्रपति पद पर लौटने के बाद से ट्रम्प ने व्यापक आव्रजन कार्रवाई शुरू की है, जिसमें निवास के कानूनी रास्तों को सीमित करने के प्रयास भी शामिल हैं। H-1B वीजा में उनके द्वारा किया गया बदलाव अस्थायी कार्य वीजा को नया रूप देने का सबसे प्रमुख प्रयास है और इससे भारतीयों पर विशेष रूप से बुरा असर पड़ा है, जिन्होंने पिछले साल इन वीजा में 71% हिस्सेदारी हासिल की थी।
कई भारतीयों के लिए, अमेरिका में रहने वाले किसी हमवतन से शादी करना आर्थिक सुरक्षा और बेहतर जीवन स्तर का टिकट था, जबकि परिवारों ने उनके घर पैसे भेजने और विस्तारित परिवारों को सहायता प्रदान करने की परंपरा का स्वागत किया।
अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवाओं के आंकड़ों के अनुसार, 2024 में भारतीय नागरिकों को जारी किए गए लगभग 75% H-1B वीजा पुरुषों को दिए गए।
वनजा राव समूह की कंपनियों की प्रबंध निदेशक वनजा राव ने कहा कि पिछले साल तक NRI और विदेश में बसे पुरुषों के लिए काफी मांग और क्रेज था। ट्रम्प के सत्ता में आने के बाद से ही मंदी का दौर शुरू हो गया है, और पिछले छह महीनों में यह और तेज हो गया है। और निश्चित रूप से H-1B वीजा पर हालिया अराजकता और प्रतिबंधों के बाद, और भी ज्यादा घबराहट है।
कुछ मामलों में, परिवार शादियों में देरी कर रहे हैं।
अटलांटा, जॉर्जिया में रहने वाले एक 26 वर्षीय भारतीय ने इस मुद्दे की संवेदनशीलता के कारण नाम न छापने की शर्त पर कहा कि केवल H-1B ही नहीं, बल्कि आम तौर पर आव्रजन के मामले में बहुत अनिश्चितता है, पिछले एक साल में यह और भी बढ़ गई है।
उन्होंने बताया कि उन्हें तीन शादियों की जानकारी है जो ट्रम्प के नीतिगत बदलावों के कारण स्थगित हो गई हैं।
वीजा स्थिति पर सब कुछ
वीजा स्थिति अक्सर सौदे को प्रभावित या बिगाड़ने वाली होती है। कुछ मैचमेकर नई वास्तविकता के साथ तालमेल बिठा रहे हैं। प्रीमियम मैचमेकिंग प्लेटफ़ॉर्म नॉट.डेटिंग ने भारत के दक्षिण में विस्तार करते हुए अपनी एप पर 'अमेरिकी वीजा फिल्टर' पेश किया है। कंपनी के सह-संस्थापक और सीईओ जसवीर सिंह ने कहा कि वहां कई परिवार विशेष रूप से अनिवासी भारतीयों के प्रति उत्सुक हैं।
सिंह ने कहा कि परिवार आगे बढ़ने से पहले विदेश से आने वाले प्रेमी या जीवनसाथी की वीजा स्थिति देखना चाहते हैं।
नॉट.डेटिंग के सिंह ने बताया कि सितंबर में इस सुविधा के लॉन्च होने के बाद से लगभग 1,000 NRI इसमें शामिल हो चुके हैं, जिनमें से 60% H-1B वीजा पर और बाकी ग्रीन कार्ड या अन्य वीजा पर हैं। इन 1,000 में से 81% पुरुष थे।
नॉट.डेटिंग के अनुसार, पुरुष उपयोगकर्ताओं के लिए सालाना कम से कम 50 लाख रुपये (56,332.32 डॉलर) की कमाई जरूरी है, लेकिन महिलाओं के लिए कोई आय मानदंड नहीं है।
विदेशी शिक्षा सलाहकार फर्म IMFS के केपी सिंह ने कहा कि यह आंकड़ा भारत में किसी नए स्नातक या पेशेवर की आम कमाई से कहीं ज्यादा है, जो यहां कई वर्षों की कमाई के बराबर है।
मैचमेकिंग एजेंसी वेडिंग टेल्स मैट्रिमोनी की संस्थापक निकिता आनंद ने कहा कि अमेरिकी सपना लोगों की पहुंच से दूर होता जा रहा है, इसलिए कुछ भारतीय ग्राहक संभावित जीवनसाथी के लिए कनाडा, यूके, यूरोप और मध्य पूर्व की ओर रुख कर रहे हैं।
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login