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ए.आर. रहमान के मार्गदर्शन में बना भारतीय बैंड ‘झल्ला’ की टोरंटो में शानदार प्रस्तुति

इस बैंड की शुरुआत 2025 में मुंबई के WAVES समिट में हुई थी, जहां 12 कलाकारों ने मिलकर भारतीय संगीत को एक नए वैश्विक रूप में प्रस्तुत किया।

टोरंटो में भारतीय बैंड की प्रस्तुति / Jhalaa via Instagram

भारतीय नियो-क्लासिकल संगीत को वैश्विक मंच पर नई पहचान दिलाने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए, ए.आर. रहमान के मार्गदर्शन में तैयार भारतीय बैंड ‘झल्ला’ ने 10 अक्टूबर को टोरंटो में अपना नॉर्थ अमेरिकन डेब्यू किया। यह प्रदर्शन प्रतिष्ठित ‘द प्रॉमिस ऑफ म्यूज़िक’ कॉन्सर्ट के दौरान हुआ, जिसे द ग्लेन गूल्ड फाउंडेशन ने आयोजित किया था। रहमान स्वयं इस कार्यक्रम में मौजूद थे, जहां झल्ला ने उनके सामने उद्घाटन प्रस्तुति दी, जबकि मुख्य आकर्षण के रूप में रहमान का सूफी संगीत कार्यक्रम पेश किया गया।

‘झल्ला’ भारतीय शास्त्रीय संगीत परंपराओं को आधुनिक संगीत तत्वों के साथ जोड़ता है। इस बैंड की शुरुआत 2025 में मुंबई के WAVES समिट में हुई थी, जहां 12 कलाकारों ने मिलकर भारतीय संगीत को एक नए वैश्विक रूप में प्रस्तुत किया। बैंड में छह महिला गायिका-नर्तकियां और छह पुरुष गायक एवं मल्टी-इंस्ट्रुमेंटलिस्ट शामिल हैं। इनमें अंबादी एम. ए., मयूरी साहा, एबी वी, अंतरा नंदी, सुदीप जयपुरवाले, करमजीत मैडोना, जयदीप वैद्य, शिवाश्री स्कंदप्रसाद, फैज़ मुस्तफा, ऐश्वर्या मीनाक्षी, स्टीवन सैमुअल देवस्सी और दिव्या नायर जैसे प्रतिभाशाली नाम शामिल हैं।

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‘झल्ला’ बैंड का नाम हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के उस रोमांचक हिस्से से लिया गया है, जहां राग अपनी चरम गति और ताल के जोशपूर्ण उतार-चढ़ाव के साथ उत्कर्ष पर पहुंचता है। इस चरण में संगीत की ताल इतनी तीव्र होती है कि सुर और लय का संगम एक ऊर्जावान संगीतमय अनुभव में बदल जाता है।

यह बैंड ए.आर. रहमान की पहल ‘भारत मेस्ट्रो(आ) अवॉर्ड्स’ के तहत बना था। इन पुरस्कारों का उद्देश्य भारत की समृद्ध संगीत परंपरा का उत्सव मनाना और अगली पीढ़ी के शास्त्रीय कलाकारों को मंच प्रदान करना है। रहमान ने स्वयं एक वैश्विक प्रतिभा खोज अभियान के जरिए इस बैंड के सदस्यों का चयन किया था, जिसमें भारतीय शास्त्रीय संगीत और शास्त्रीय नृत्य में पारंगत युवा कलाकारों को चुना गया।

‘झल्ला’ का उद्देश्य है—शुद्ध लाइव संगीत प्रस्तुत करना, जिसमें कोई प्री-रिकॉर्डेड ट्रैक या डिजिटल लेयरिंग न हो। अपनी अनूठी ध्वनि और भारतीयता की जड़ों से जुड़ी प्रस्तुति के साथ, झल्ला ने दुनिया को दिखा दिया है कि भारतीय संगीत की आत्मा आज भी जीवंत और विश्व-प्रेरणादायी है।

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