भारत ने तमाम क्षेत्रों में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं। इन उपलब्धियों में वैक्सीन निर्माण में अग्रणी रहना, चंद्रमा पर रोवर उतारना और दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक होना शामिल है। भारत 2047 तक एक 'विकसित देश' बनने की आकांक्षा रखता है और यह जरूरी है कि 10 करोड़ (100 मिलियन) 'अक्षम व्यक्तियों' (PwD) सहित भारत के सभी नागरिक इस लक्ष्य से लाभान्वित हों और इसे हासिल करने में अपना योगदान भी दें।
बढ़ती जागरूकता और अनुसंधान डेटा के साथ हमारे पास दिव्यांग व्यक्तियों की जन्मजात क्षमताओं और उनके रहने-बढ़ने के लिए अपने वातावरण में अनुकूलन और सुधार करने की उनकी विशेष क्षमताओं की अनुभवजन्य समझ है। हालांकि हमारे समाज में आज भी यह सोच बनी हुई है कि दिव्यांग जरूरतमंद हैं और उन्हे दान देने की दरकार है। बेशक यह एक रूढ़ और संकीर्ण दृष्टिकोण है। दुनिया आज प्रौद्योगिकी, AI का उपयोग करके मनुष्यों को अपनी क्षमताओं को बढ़ाने में सक्षम बनाने के लिहाज से एक लंबी छलांग लगाने की दहलीज पर है। यह दुनिया भर में 1 अरब से अधिक दिव्यांग आबादी को मुख्यधारा में लाने का एक सदी का अवसर है जो उनकी आर्थिक स्वतंत्रता का मार्ग भी प्रशस्त करता है।
इसी संदर्भ में मैं प्रणव देसाई, एक पोलियो सर्वाइवर, NTT DATA में उपाध्यक्ष के रूप में काम कर रहा हूं। मैंने धारणाओं को नया आकार देने और विकलांग लोगों की 'अप्रयुक्त' आर्थिक क्षमताओं को उजागर करने और उसका उपयोग करने के लिए एक मिशन पर काम शुरू किया है। हम समाज के इस वर्ग को अब दिव्यांग कहने लगे हैं। मेरी पत्नी ऊषा और मैंने विकलांगता क्षेत्र को एक उत्प्रेरक के रूप में बदलने की दृष्टि से 2017 में वॉयस ऑफ स्पेशली एबल्ड पीपल (VOSAP) की शुरुआत की। 12,000 से अधिक स्वयंसेवकों और 250 से ज्याद प्रेरणादायक नेताओं और करीब 1,000 NRI दाताओं द्वारा समर्थित VOSAP ने भारत में 22,000 से अधिक अक्षम माने जाने वाले लोगों को सक्षम किया है। अपने मिशन को आगे बढ़ाने के लिए हम प्रौद्योगिकी के उपयोग के साथ ही नेताओं को अपने साथ जोड़कर बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाते हैं और अन्य गतिविधियों को अंजाम देते हैं।
भारत के लिए VOSAP की 2047 दृष्टि
अपनी मातृभूमि भारत माता की सेवा के दायित्वबोध से हमने VOSAP के 2047 दृष्टिकोण का खाका खींचा है। हमने 7 वर्षों के हमारे डेटा के आधार पर एक आर्थिक मॉडल विकसित किया है। इसके मुताबिक 2047 तक विकलांगता क्षेत्र से 1 ट्रिलियन डॉलर के आर्थिक योगदान की एक साहसिक दृष्टि के साथ उनकी क्षमताओं को विकसित करने का भी मार्ग तय किया गया है। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने PwD के लिए SAP का इस्तेमाल किया है। यानी पीपल विद स्पेशल एबिलिटी। या कहें कि दिव्यांग जिनके पास विशेष क्षमता है।
लक्ष्य 2047 के लिए प्रतिबद्धता
पिछले महीने मेरी भारत यात्रा प्रमुख नेताओं और बड़े पैमाने पर विकलांगता क्षेत्र के हितधारकों से समर्थन हासिल करने का एक रणनीतिक मिशन था। सुखद बात यह है कि मैंने $1 ट्रिलियन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारत सरकार, विभिन्न कैबिनेट मंत्रियों, राज्यों के मुख्यमंत्रियों और अदानी जैसे कारोबारियों में नेतृत्व के स्तर पर गहरी प्रतिबद्धता का अनुभव किया।
मुझे भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक व्यापक कर प्रोत्साहन पैकेज पेश करने का भी सौभाग्य मिला। इस पैकेज का उद्देश्य व्यक्तियों और व्यवसायों को कर प्रोत्साहन देकर SAP को सशक्त बनाने के लिए पैसा खर्च करने की खातिर पुरस्कृत करके आर्थिक गतिविधियों को तेज करना है। अमेरिका की ही तरह भारत के विकलांगता क्षेत्र व इसके पारिस्थितिकी तंत्र में लाखों नई नौकरियां पैदा करने की क्षमता है और यह क्षमता नीतिगत उपायों के माध्यम से बढ़ाई जा सकती हैं।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ मुलाकात के दौरान भी लक्ष्य 2047 को लेकर चर्चा हुई। मुलाकात के दौरान मैंने पारंपरिक कल्याण दृष्टिकोण को कायम रखने के बजाय SAP की क्षमताओं के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने के रणनीतिक महत्व पर जोर दिया।
VOSAP ने गोवा सरकार के साथ एक ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। ऐसा करने वाला गोवा पहला राज्य है। गोवा में अंतर्राष्ट्रीय पर्पल फेस्ट कार्यक्रम में 10,000 से अधिक लोगों ने भाग लिया और $1 ट्रिलियन पर्पल अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को लेकर उत्साह जताया।
बेशक, उपेक्षित से सशक्त बनने की यह परिवर्तनकारी यात्रा सिर्फ एक कहानी नहीं है। एक वास्तविकता है और हमारी आंखों के सामने है। यही वास्तविकता 2047 तक 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे रही है और पूरी ताकत के साथ खड़े एक परिवर्तित भारत की मुकम्मल तस्वीर है।
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