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वैश्विक नवाचार में भारतीय प्रवासियों की अगुवाई, GOPIO वेबिनार में जोरदार चर्चा

इस वैश्विक मंच पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), नैनो टेक्नोलॉजी, क्रिटिकल मिनरल्स, स्पेस सर्विलांस और जल संकट के समाधान जैसे क्षेत्रों में प्रवासी भारतीयों के योगदान पर विस्तृत चर्चा हुई

GOPIO वेबिनार / image provided

भारतीय मूल के वैज्ञानिक, तकनीकी विशेषज्ञ और उद्यमी किस तरह दुनिया में नवाचार की दिशा तय कर रहे हैं, इसी विषय पर ग्लोबल ऑर्गनाइजेशन ऑफ पीपल ऑफ इंडियन ओरिजिन (GOPIO) ने नवंबर का अपना वेबिनार आयोजित किया। विषय था — 'Shaping the Technologies for the Future – Role of Diaspora' यानी भविष्य की तकनीकों को आकार देने में प्रवासी भारतीयों की भूमिका।

इस वैश्विक मंच पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), नैनो टेक्नोलॉजी, क्रिटिकल मिनरल्स, स्पेस सर्विलांस और जल संकट के समाधान जैसे क्षेत्रों में प्रवासी भारतीयों के योगदान पर विस्तृत चर्चा हुई।

विज्ञान और प्रवासन – भारत की वैश्विक पहचान
GOPIO इंटरनेशनल के अध्यक्ष प्रकाश शाह ने सत्र की शुरुआत करते हुए कहा, 'पिछले साठ वर्षों में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) भारत से पश्चिमी देशों की ओर प्रवासन की प्रमुख ताकत रहे हैं। पहले इसे ब्रेन ड्रेन कहा गया, लेकिन आज वही दिमाग हर देश की ‘सिलिकॉन वैली’ का हिस्सा बन चुके हैं।' शाह ने कहा कि भारतीय वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने पिछले छह दशकों में हर क्षेत्र की तकनीकी प्रगति में अग्रणी भूमिका निभाई है।

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भारत और प्रवासी विशेषज्ञों के बीच तकनीकी सेतु
GOPIO के संस्थापक और चेयरमैन डॉ. थॉमस अब्राहम ने संगठन की 1989 से अब तक की यात्रा और मिशन साझा किया। उन्होंने कहा, 'हम प्रवासी भारतीयों को उनके मूल देश से जोड़ने और उन्हें तकनीक व नवाचार के क्षेत्र में सहयोगी बनाने का प्रयास कर रहे हैं।' उन्होंने बताया कि GOPIO अब एआई, नैनो टेक्नोलॉजी, क्रिटिकल मिनरल्स और क्लीन एनर्जी जैसे क्षेत्रों में प्रवासी विशेषज्ञों का नेटवर्क बनाने पर काम कर रहा है।

 

वेबिनार / image provided

भारत के राष्ट्रीय लक्ष्यों में प्रवासी सहयोग की आवश्यकता
एमएनआईटी जयपुर के निदेशक डॉ. एन.पी. पाध्य और एसवीएनआईटी सूरत के निदेशक डॉ. अनुपम शुक्ला विशेष अतिथि रहे। डॉ. पाध्य ने कहा, 'भारत अब वैश्विक तकनीकी जगत में सहभागी नहीं, बल्कि अग्रणी भूमिका में है। घरेलू प्रतिभा और प्रवासी अनुभव का मेल स्वच्छ ऊर्जा, अंतरिक्ष अनुसंधान और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन के लिए अनिवार्य है।'

नैनो टेक्नोलॉजी से लेकर ग्लास इनोवेशन तक
ऑस्ट्रेलिया से प्रोफेसर प्रसाद यारलागड्डा ने कहा कि '2035 तक विश्वविद्यालय सिर्फ लर्निंग हब बन जाएंगे — शिक्षा देने के बजाय उसे सुविधाजनक बनाएंगे।' उन्होंने भारत के IISc बेंगलुरु और IIT मद्रास के साथ ऊर्जा सामग्री और एंटी-बैक्टीरियल नैनोटेक्नोलॉजी पर अपने प्रोजेक्ट साझा किए।

अमेरिका की लीहाई यूनिवर्सिटी के प्रो. हिमांशु जैन ने बताया कि कैसे 'ग्लास', जो मानव की सबसे पुरानी खोजों में से एक है, आज सस्टेनेबल एनर्जी और हेल्थकेयर में नई संभावनाएं खोल रहा है, जैसे सोलर कंसन्ट्रेटिंग मिरर, एनर्जी-एफिशिएंट ग्लास बिल्डिंग्स और विंड टर्बाइन कॉम्पोजिट्स।

'माइंस ऑफ द फ्यूचर' और सतत खनन की चुनौती
कोलंबिया यूनिवर्सिटी के प्रो. डी.आर. नागराज ने 'Mines of the Future' विषय पर बोलते हुए कहा, 'स्वच्छ ऊर्जा और आधुनिक तकनीक उतनी ही खनिजों पर निर्भर हैं, जितनी ऊर्जा खनन पर निर्भर है।' उन्होंने एआई, रोबोटिक्स और डेटा एनालिटिक्स के जरिए ‘प्रिसिजन माइनिंग’ की जरूरत पर जोर दिया।

महिला नेतृत्व और समावेशी नवाचार
अमेरिका की Sustainable Pittsburgh की कार्यकारी निदेशक भावना पटेल ने कहा, 'तकनीक केवल कोड या मशीन नहीं है — यह लोगों के बारे में है, कि इसे कौन बना रहा है और इसका लाभ किसे मिल रहा है।' उन्होंने महिला उद्यमियों और नीतिनिर्माताओं की साझेदारी पर विशेष बल दिया।

फिनटेक और वेंचर कैपिटल में प्रवासी भारतीयों की भूमिका
निवेशक और EMVC की सीईओ मेलिसा फ्रैकमैन ने कहा कि भारतीय फिनटेक क्षेत्र विश्व में सबसे तेज़ी से बढ़ रहा है। उन्होंने कहा, 'हमारे प्रवासी निवेशक सिर्फ पूंजी नहीं लाते, बल्कि अनुभव, नेटवर्क और भरोसा भी देते हैं।'

भारतीय स्टार्टअप्स की नई उड़ान
दिल्ली स्थित Suhora Technologies के सीईओ कृशनु आचार्य ने बताया कि उनका स्टार्टअप सैटेलाइट-आधारित एआई एनालिटिक्स से राष्ट्रीय सुरक्षा, खनन और आपदा प्रबंधन में मदद कर रहा है। उन्होंने कहा, 'हम AI को इंसानों का विकल्प नहीं, सहयोगी बनाना चाहते हैं।'

AirOWater के संस्थापक डॉ. दुर्गा दास ने 'हवा से पानी' बनाने की अपनी तकनीक प्रस्तुत की। उन्होंने कहा, 'धरती की तुलना में हवा में सात गुना ज्यादा पानी है, फिर भी हम बारिश या भूजल पर निर्भर हैं।'

GOPIO का आह्वान: भारत और प्रवासी मिलकर बनाएं भविष्य
कार्यक्रम के समापन पर डॉ. थॉमस अब्राहम ने कहा, 'AI से लेकर स्पेस और वाटर तक — भारतीय प्रवासी दुनिया की तकनीकी दिशा तय कर रहे हैं। GOPIO इस पुल को और मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है।' कार्यक्रम का संचालन सुनील वुप्पला ने किया, जबकि तकनीकी सहयोग वात्सला उपाध्याय ने प्रदान किया। सचिव सिद्धार्थ जैन ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।

 

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