अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत से आने वाले सामान पर 50% तक का टैरिफ लगाने का एलान किया था जो आज यानी 27 अगस्त से लागू हो चुका है। इसे दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के रूप में देखा जा रहा है।
इससे पहले ट्रम्प सरकार ने 25% टैरिफ लगाया था लेकिन अब रूस से तेल खरीदने को लेकर अतिरिक्त 25% टैरिफ जोड़ दिया गया है। यानी अब भारतीय सामान जैसे कपड़े, जेम्स और ज्वैलरी, फुटवियर, स्पोर्ट्स गुड्स, फर्नीचर और केमिकल्स पर कुल 50% तक टैरिफ देना होगा।
हालांकि अमेरिकी कस्टम्स ने यह भी कहा है कि जो भारतीय माल 27 अगस्त की डेडलाइन से पहले जहाज पर लोड होकर अमेरिका की ओर निकल चुका है वह 17 सितंबर तक पुरानी और कम दरों पर एंट्री कर सकता है।
यह अमेरिका की ओर से लगाया गया सबसे बड़ा टैरिफ है। ब्राजील और चीन के अलावा भारत पर ही इतना टैरिफ लगाया गया है। इन टैरिफ से भारत के हजारों छोटे निर्यातक और नौकरियां प्रभावित हो सकती हैं। इसका असर विशेष रूप से गुजरात पर पड़ सकता है।
भारत के वाणिज्य मंत्रालय ने कहा है कि प्रभावित निर्यातकों को वित्तीय मदद दी जाएगी और उन्हें चीन, लैटिन अमेरिका और मध्य पूर्व जैसे नए बाजारों की ओर बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
स्टील, एल्यूमीनियम, पैसेंजर व्हीकल्स और कॉपर जैसे उत्पादों को इस नियम से छूट दी गई है क्योंकि उन पर पहले से ही अलग कानून के तहत टैरिफ लग चुका है।
भारत का कहना है कि अमेरिका से आयात पर भारत का औसत टैरिफ 7.5% है जबकि अमेरिका दावा करता है कि भारत ने कुछ अमेरिकी सामान खासकर फार्म गुड्स पर औसतन 39% और कारों पर 100% तक टैरिफ लगाया हुआ है।
दोनों देशों के बीच पांच दौर की बातचीत असफल रही है। भारत चाहता था कि टैरिफ अधिकतम 15% तक ही रहे जैसा कि जापान, साउथ कोरिया और यूरोपियन यूनियन को दिया गया है। लेकिन बातचीत नाकाम रही और अब अमेरिका ने पूरा 50% टैरिफ लागू कर दिया है।
इससे भारत के लगभग 55% निर्यात पर असर पड़ सकता है और इसका फायदा वियतनाम, बांग्लादेश और चीन जैसे देशों को मिल सकता है। लंबे समय तक अगर ये टैरिफ जारी रहे तो यह भारत की चीन का विकल्प बनने की छवि को नुकसान पहुंचा सकता है।
हालांकि तनाव के बीच भी अमेरिका और भारत ने हाल ही में बयान जारी कर कहा कि दोनों देश अपनी साझेदारी और खासकर क्वाड (भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान का समूह) को मजबूत बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
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