भारत में एक बार फिर कर सुधारों के तहत मोदी सरकार ने बड़े बदलाव किए हैं। यह पिछले आठ वर्षों के बीच बड़ा कर सुधार माना जा रहा है। जिसके तहत 2,500 रुपये ($29) से कम कीमत वाले परिधानों पर कर घटाकर 5% कर दिया गया है। जबकि इससे अधिक कीमत वाले कपड़ा उत्पादों पर अब 18% का अतिरिक्त कर लगाया जाएगा। ऐसे वर्ल्ड लेवल फैशन ब्रांड, जिनके उत्पाद महंगे होते हैं, उनके लिए भारत में व्यापार करना महंगा हो सकता है।
उपभोक्ता कर में व्यापक बदलाव से भारत में साबुन से लेकर लग्जरी एसयूवी तक, काफी कुछ सस्ता होने की उम्मीद है। लेकिन जारा, लेवी स्ट्रॉस और लैकोस्टे जैसे वैश्विक फैशन ब्रांड महंगे कपड़े जिनकी कीमत $29 से अधिक है, कर वृद्धि से घबराए हुए हैं।
डेटाम इंटेलिजेंस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 70 अरब डॉलर के परिधान उद्योग में प्रीमियम परिधानों का हिस्सा लगभग 18% है, जो भारत में अधिक संपन्न और ब्रांड के प्रति जागरूक युवाओं की पहली पसंद है। दावा किया जा रहा है कि महंगे कपड़ों पर कर वृद्धि से PVH कॉर्प, मार्क्स एंड स्पेंसर, गैप इंक, अंडर आर्मर, नाइकी, एचएंडएम और जापान की यूनिक्लो जैसी कंपनियों पर दबाव बढ़ सकता है।
भारत में कार्यरत एक विदेशी परिधान ब्रांड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने कहा, "खुदरा क्षेत्र में बहुत कम मुनाफा होता है। किराए जैसे ऊपरी खर्चे बहुत अधिक होते हैं। लेकिन अब जिस वृद्धि की हम पहले से उम्मीद कर रहे थे, वो नहीं होगी। हालांकि 2,500 रुपये की कीमत वाले कपड़े बहुत लक्जरी नहीं है, अब यह लोगों की जरूरत है।"
यह कर सुधार का कदम ऐसे वक्त में बढ़ाया गया, जब भारत के टेक्सटाइल उद्योगों का निर्यात यूएस टैरिफ वृद्धि के चलते प्रभावित हुआ है। इस बदलाव के जरिए न केवल दैनिक आवश्यक वस्तुओं और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स पर उपभोग शुल्क में भारी कटौती की गई है, बल्कि एसयूवी तक के रेट करम हुए हैं। इस पर कर की दर अब घटाकर 40% कर दी गई है। ऐसे में कार निर्माता मर्सिडीज-बेंज ने हाल के महीनों में खपत बढ़ने के साथ रिकॉर्ड बिक्री दर्ज की है।
इस बीच भारतीय वस्त्र निर्माता संघ ने कहा है कि परिधानों पर उच्च कर कपड़ा उद्योग के लिए खतरे की घंटी होगा,क्योंकि 2,500 रुपये से अधिक कीमत वाली वस्तुओं का आम आदमी और मध्यम वर्ग द्वारा बड़ी संख्या में उपभोग किया जाता है।
संघ ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि ट्रम्प के टैरिफ अभियान के परिणामों को और बढ़ाने वाले उच्च कर के प्रभाव के बारे में चिंता व्यक्त की गई है। बता दें कि कई विदेशी कंपनियों फ्रेंचाईजी भारतीय हैं, ऐसे में कर वृद्धि से उन्हें नुकसान होने की संभावना है। यह कर वृद्धि लक्ज़री सामान बनाने वाली कंपनियों लुई वुइटन, डायर और वर्साचे के परिधानों पर भी लागू होगी।
भारत में, विदेशी प्रीमियम ब्रांड रिटेल आउटलेट और ई-कॉमर्स पेशकशों को जोड़कर धनी युवाओं को आकर्षित कर रहे हैं। लुलुलेमन एथलेटिका 2026 में बाजार में प्रवेश करने की योजना बना रही है।
भारत की अरविंद फैशंस के पास टॉमी हिलफिगर और केल्विन क्लेन रिटेल के लिए घरेलू फ्रैंचाइजी अधिकार हैं, लेकिन इसकी सहयोगी कंपनी, अरविंद लिमिटेड, संयुक्त राज्य अमेरिका सहित अन्य देशों को निर्यात के लिए विदेशी ब्रांड बनाती है, जिसकी हिस्सेदारी लगभग 30% है।
हालांकि नए कर सुधार को लेकर अरविंद समूह ने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। बदली कीमतों के बीच ग्राहकों को भारत में मिडिल क्लास को अधिक लाभ मिलने की उम्मीद है। जबकि 12% के पुराने स्लैब से 18% तक की बढ़ोतरी का भारत के अमीरों पर सीमित प्रभाव पड़ेगा।
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