अमेरिकी विदेश विभाग के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि मानवाधिकार भारत के साथ अमेरिका के संबंधों के प्रमुख फैक्टर्स में से एक है। ब्यूरो ऑफ डेमोक्रेसी, ह्यूमन राइट्स एंड लेबर में सीनियर ब्यूरो अधिकारी रॉबर्ट गिलक्रिस्ट ने कहा कि अमेरिका और भारत लोकतंत्र और मानवाधिकार के मुद्दों पर नियमित रूप से हाई लेवल पर परामर्श करते हैं।
गिलक्रिस्ट ने कहा कि हम भारत को अपने मानवाधिकार दायित्वों और प्रतिबद्धताओं को बनाए रखने के लिए दृढ़ता से प्रोत्साहित करते हैं, आग्रह करते हैं। विदेश मंत्री टोनी ब्लिंकन द्वारा मानवाधिकार पर 48वीं सालाना कंट्री रिपोर्ट जारी करने के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में गिलक्रिस्ट ने यह बातें कहीं।
गिलक्रिस्ट ने कहा कि हम नियमित रूप से अमेरिका और भारत दोनों में नागरिक समाज के प्रतिनिधियों से मिलते हैं, जिससे उनके नजरिये को सुना जा सके। इस प्रकार के दृष्टिकोण मानवाधिकार रिपोर्ट को सूचित करते हैं। हम भारत सरकार को प्रोत्साहित करते हैं कि वह विभिन्न प्रकार के लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाले नागरिक समाज संगठनों से नियमित रूप से परामर्श करे और उनसे मुलाकात करे। यह न केवल हमारी बातचीत बल्कि भारत के साथ हमारे जुड़ाव का एक महत्वपूर्ण घटक बना हुआ है।
रिपोर्ट के भारत के बारे में कहना है कि भारत के पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में कुकी और मैतेई समूहों के बीच जातीय संघर्ष के कारण मानवाधिकारों का हनन हुआ। मीडिया से पता चलता है कि तीन मई से 15 नवंबर के बीच कम से कम 175 लोग मारे गए और 60,000 से अधिक विस्थापित हो गए।
उन्होंने कहा कि सरकार ने मानवाधिकारों का हनन करने वाले अधिकारियों की पहचान करने और उन्हें दंडित करने के लिए न्यूनतम विश्वसनीय कार्रवाई की। जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर राज्यों और माओवादी आतंकवाद प्रभावित क्षेत्रों में आतंकवादियों ने सशस्त्र बलों के कर्मियों, पुलिस, सरकारी अधिकारियों और नागरिकों की हत्या और अपहरण सहित गंभीर अत्याचार किए।
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