अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने 4 सितंबर को घोषणा की कि वॉशिंगटन सेंट्रल अमेरिका के कुछ नागरिकों पर वीजा प्रतिबंध लगा रहा है। अमेरिका का आरोप है कि ये लोग जानबूझकर चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के लिए काम कर रहे हैं और सेंट्रल अमेरिका में कानून व्यवस्था को कमजोर कर रहे हैं।
रूबियो ने कहा कि ऐसे लोगों और उनके परिवार के सदस्यों को अमेरिका में एंट्री नहीं दी जाएगी। हालांकि उन्होंने यह साफ नहीं किया कि किन लोगों पर कार्रवाई की जा रही है।
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दरअसल, अमेरिका और चीन के रिश्ते कई सालों से तनावपूर्ण रहे हैं—चाहे वो व्यापारिक टैरिफ हों, साइबर सुरक्षा, बौद्धिक संपदा (Intellectual Property), जासूसी, कोविड-19 की शुरुआत, टिकटॉक का मालिकाना हक, या फिर हांगकांग और ताइवान के हालात।
पिछले कुछ सालों में चीन ने लैटिन अमेरिका में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिशें तेज़ की हैं, जबकि यह इलाका ऐतिहासिक रूप से अमेरिका के प्रभाव क्षेत्र में माना जाता रहा है।
अमेरिका का यह कदम साफ इशारा है कि वॉशिंगटन, लैटिन अमेरिका में चीन की बढ़ती पैठ से बेचैन है और अब सख्ती दिखाकर संदेश देना चाहता है।
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