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अमेरिका में चावल पर जंग : भारत समेत 5 देशों के चावल पर 100% टैरिफ लगाने की गुजारिश

दो रिपब्लिकन सांसदों ने राष्ट्रपति ट्रम्प से भारत समेत पांच देशों के चावल पर 100% तक का टैरिफ लगाने की मांग की है। इनका दावा है कि इन देशों की वजह से अमेरिकी चावल उत्पादकों को भारी नुकसान हो रहा है और चावल के दाम गिर रहे हैं। इस मांग के पीछे भारत की विश्व बाजार में बढ़ती हिस्सेदारी भी एक बड़ा कारण है।

अमेरिका में रिपब्लिकन पार्टी के दो बड़े नेताओं ने राष्ट्रपति ट्रम्प से गुजारिश की है। / @realDonaldTrump

अमेरिका में रिपब्लिकन पार्टी के दो बड़े नेताओं ने राष्ट्रपति ट्रम्प से पांच देशों- भारत, थाईलैंड, वियतनाम, चीन और पाकिस्तान से आने वाले चावल पर 100% तक का टैरिफ लगाने की गुजारिश की है। सांसद क्ले हिगिंस और जूलिया लेटलो ने ट्रम्प को एक पत्र में लिखा है। इसमें कहा है कि इन देशों से आने वाले चावल की वजह से अमेरिका के मिड-साउथ और कैलिफोर्निया के चावल मिलों को बहुत नुकसान हुआ है। चावल के दाम भी बहुत गिर गए हैं। ये आयात अमेरिकी चावल मिलों के लिए बिलकुल घातक साबित हुआ है। 

ये खत 13 फरवरी को लिखा गया था और मंगलवार को पब्लिक किया गया। दोनों सांसद चावल उगाने वाले लुइसियाना राज्य से हैं। हिगिंस और जूलिया ने अपने खत में लिखा है कि अमेरिकी चावल किसान और मिल मालिक अपनी आर्थिक तरक्की और स्थिरता के लिए एक्सपोर्ट पर निर्भर हैं। लेकिन गैर-कानूनी व्यापारिक चालों की वजह से दुनिया भर में चावल के दाम इतने नीचे आ गए हैं कि अमेरिका मुकाबला ही नहीं कर पा रहा है।

उन्होंने ट्रम्प से कहा, 'भारत ने हाल ही में नॉन-बासमती चावल के एक्सपोर्ट पर लगी पाबंदी हटा दी है जिससे दाम और भी गिर गए हैं और अमेरिकी चावल का एक्सपोर्ट और मुश्किल हो गया है।' हिगिंस और लेटलो ने ट्रम्प से गुजारिश की, 'जब तक ये देश कानूनी और निष्पक्ष व्यापार नहीं करते, हम आपसे विनती करते हैं कि आप अपने पास मौजूद सभी तरीकों का इस्तेमाल करें। इनमें भारत, थाईलैंड, चीन, पाकिस्तान और वियतनाम से आने वाले चावल पर 100% तक का टैरिफ लगाना भी शामिल है। इससे अमेरिकी चावल किसानों और प्रोसेसर्स को सही तरीके से मुकाबला करने में मदद मिलेगी।'

अपने खत में हिगिंस और लेटलो ने ट्रम्प के उन प्रयासों की तारीफ की जिनसे अमेरिकी अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है। उत्पादन क्षमता बढ़ी है और दुनिया भर के देशों के साथ कानूनी और निष्पक्ष व्यापार सुनिश्चित हुआ है। उन्होंने लिखा, 'जैसे ही आप दुनिया के नेताओं से मिलते हैं और अमेरिकी उद्योगों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए बातचीत करते हैं, कृपया लुइसियाना की अर्थव्यवस्था की जान, कृषि, सीफूड, लकड़ी और अन्य उद्योगों को भी ध्यान में रखें।'

20 जनवरी को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के बाद ट्रम्प अब तक चार विश्व नेताओं से मिल चुके हैं। इनमें इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा, जॉर्डन के राजा अब्दुल्ला और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हैं।

इस महीने की शुरुआत में USA Rice के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के सदस्य जेनिफर जेम्स ने कांग्रेस की एक सुनवाई में सांसदों को बताया कि भारत अपने चावल उत्पादकों को 90% से ज्यादा सब्सिडी देता है। इसकी वजह से वह दुनिया भर में चावल कृत्रिम रूप से कम दामों पर बेच रहा है। जेम्स ने सीनेट एग्रीकल्चर, न्यूट्रिशन और फॉरेस्ट्री कमिटी के सामने अपनी कहा, 'भारत अपने चावल उत्पादकों को 90% से अधिक सब्सिडी देता है, जिससे भारत दुनिया के बाजार में चावल को कम दामों पर बेच पाता है। इससे दुनिया में चावल के दाम कम हो रहे हैं और अमेरिकी चावल के निर्यात पर असर पड़ रहा है।'

USA Rice अमेरिका में चावल उत्पादकों का प्रतिनिधि संगठन है। अमेरिकी चावल उद्योग हर साल 20 अरब पाउंड चावल का उत्पादन करता है। पूरे देश में 5,563 चावल किसान हैं जो कुल मिलाकर 28 लाख एकड़ में चावल उगाते हैं। छह प्रमुख चावल उत्पादक राज्य अर्कांसस, कैलिफोर्निया, लुइसियाना, मिसिसिपी, मिसौरी और टेक्सास हैं।

5 फरवरी को कृषि अर्थव्यवस्था पर गवाही देते हुए जेम्स ने आरोप लगाया कि खास व्यापारिक रणनीति ने भारत को दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक बनने में मदद की है। उसके पास विश्व बाजार का 40 प्रतिशत हिस्सा है और अमेरिकी चावल के निर्यात को दबा रहा है। USA Rice के मुताबिक, अमेरिकी चावल उद्योग हर साल देश की अर्थव्यवस्था में 34 अरब डॉलर से अधिक का योगदान और 125,000 से ज्यादा लोगों को रोजगार देता है। 

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