104 गैरकानूनी प्रवासियों को सी-17 विमान से अमृतसर भेजने में अमेरिका को करीब 24,000 डॉलर यानी 20 लाख रुपये प्रति व्यक्ति खर्च हुए हैं। ये बात एक टॉप डेमोक्रेटिक सीनेटर ने कही है। अन्य दो सीनेटर्स ने डिफेंस सेक्रेटरी को खत लिखकर डिपोर्टेशन के लिए फौजी विमानों का इस्तेमाल रोकने की मांग की है। पहले बाइडेन प्रशासन में चार्टर्ड फ्लाइट्स से ये काम होता था।
एरिजोना के सीनेटर और नेवी के पूर्व कॉम्बैट वेटरन मार्क केली ने गुरुवार को सेनेट आर्म्ड सर्विसेज कमिटी की सुनवाई में कहा, 'मुझे पता है कि हमारा इमिग्रेशन सिस्टम खराब है। हमें सदर्न बॉर्डर की सुरक्षा के लिए और काम करना होगा। लेकिन मुझे इन मिशन्स का हमारे मिलिट्री की तैयारी पर असर देखकर चिंता हो रही है।'
सीनेटर मेजी के. हिरोनो और एलिजाबेथ वॉरेन ने डिफेंस सेक्रेटरी पीट हेगसेथ को अलग से एक लेटर लिखा है। उन्होंने भी गैरकानूनी प्रवासियों की वापसी में ज्यादा खर्च और इससे मिलिट्री की तैयारी पर पड़ने वाले बुरे असर की बात उठाई है। ये लेटर तब आया जब दूसरा मिलिट्री विमान अमृतसर में भारतीय प्रवासियों को लेकर उतरा।
दोनों सीनेटर्स ने लिखा है कि डिपोर्टेशन के लिए अब जिन मिलिट्री विमानों का इस्तेमाल हो रहा है, वो ICE (यूएस इमिग्रेशन एंड कस्टम्स इनफोर्समेंट) के आम तौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले कमर्शियल और चार्टर्ड फ्लाइट्स से कहीं ज्यादा महंगे हैं। उन्होंने अपने लेटर में कहा, 'सी-17 मिलिट्री प्लेन का इस्तेमाल करने में एक डिपोर्टेशन के लिए टैक्सपेयर्स को 28,000 डॉलर प्रति घंटे से ज्यादा खर्च आता है। ICE अक्सर सिविलियन एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल करता है, जिसकी लागत 8,577 डॉलर प्रति घंटा है।'
हिरोनो और वॉरेन ने लिखा, 'पिछले हफ्ते एक सी-17 ने 104 लोगों को भारत डिपोर्ट किया, जिसकी लागत 2.5 मिलियन डॉलर आई। यह प्रति व्यक्ति 24,000 डॉलर से ज्यादा है। इसी तरह, गुआंतानामो के माइग्रेंट ऑपरेशन्स सेंटर के लिए ICE के कॉन्ट्रैक्ट में प्रति डिटेंशन बेड 272,000 डॉलर देने की बात है। वहीं, अमेरिका के अंदर ICE की सुविधाओं में प्रति बेड लगभग 57,000 डॉलर खर्च आता है।'
दोनों सीनेटर्स ने शुक्रवार को लिखा कि डिफेंस डिपार्टमेंट ने अभी तक ये नहीं बताया है कि इन नए ऑपरेशन्स पर कितना खर्चा आएगा। एक दिन पहले गुरुवार को सीनेटर केली ने मिलिट्री एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल डिपोर्टेशन के लिए करने पर चिंता जाहार की। इस सुनवाई में जनरल ग्रेगरी गिलोट, कमांडर, यूनाइटेड स्टेट्स नॉर्दर्न कमांड और नॉर्थ अमेरिकन एरोस्पेस डिफेंस कमांड ने भी गवाही दी।
उन्होंने कहा, 'जनरल गिलोट, पिछले हफ्ते सौ से अधिक प्रवासियों को एक सी-17 से भारत भेजा गया। इस पर अमेरिकी टैक्सपेयर्स का लगभग ढाई मिलियन डॉलर खर्च हुआ। और उस विमान को आवंटित सीमित उड़ान घंटे भी खत्म हो गए।'
सीनेटर केली ने पूछा, 'सी-17 का इस्तेमाल करने में करीब 28 हजार डॉलर प्रति घंटा खर्च आता है। ये ICE के चार्टर्ड फ्लाइट से चार गुना अधिक है। रणनीतिक एयरलिफ्ट एसेट्स पर दबाव को देखते हुए क्या आपको चिंता है कि सी-17 और सी-130 का डिपोर्टेशन फ्लाइट्स के लिए लगातार इस्तेमाल (सी-130 कम महंगा है लेकिन फिर भी, इससे तैयारी से जुड़ी समस्याएं हैं) करने से उच्च प्राथमिकता वाले मिशनों की उपलब्धता पर असर पड़ सकता है?'
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के सत्ता में आने के बाद उन्होंने गैरकानूनी प्रवासियों, जिनमें भारत के लोग भी शामिल हैं, के बड़े पैमाने पर निर्वासन की शुरुआत की है। अब तक, अमेरिका ने निर्वासन के लिए दो सैन्य विमान अमृतसर भेजे हैं। भारत उन भारतीय नागरिकों को वापस लेने के लिए सहमत हो गया है जो अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति ट्रम्प के साथ एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों से कहा, 'हमारा मानना है कि जो कोई भी किसी दूसरे देश में अवैध रूप से प्रवेश करता है, उसका उस देश में रहने का बिल्कुल कोई अधिकार नहीं है। जहां तक भारत और अमेरिका का सवाल है, हम हमेशा एक ही राय रखते हैं। वह यह है कि कोई भी भारतीय जो अवैध रूप से अमेरिका में है, हम उसे भारत वापस लेने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।'
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login