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समृद्धि और वैभवशाली जीवन के गर्भ से ही इसलिए होता है योग का जन्म

सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संस्कृति पश्चिम में वही है जो लगभग 2,000 या 2,500 साल पहले भारत में थी। लेकिन अब भारत में भी ऐसा ही हो रहा है। आर्थिक तौर पर विकसित हो रहा भारत तमाम तरह की सुख सुविधाओं में भी कैद हो रहा है। और भोग और सुविधाओं की यह अति चाहत तमाम तरह के रोग को जन्म देती है।

बहुत लोगों को ऐसा लगता है कि चूकि योग का जन्म भारत में हुआ है इसलिए आधुनिक भारतीय तो योग करता ही होगा। लेकिन ये बात पूरी तरह से सत्य नहीं है। भारतीयों में कुछ एक तबका ही योग का दीवाना रहा है। दरअसल, भारत ने अपनी इस महान विरासत को एक तरह से किनारे कर दिया था। भारत के पीएम नरेंद्र मोदी के प्रयासों से पूरे विश्व में आज योग दिवस मनाया जाता है। सच तो ये है कि इसके बाद से बड़ी संख्या में भारतीयों ने भी योग को अपनना शुरू किया। इसके बाद कोराना महामारी ने योग की जरूरत से सबको परिचित करा दिया।

man in gray crew neck t-shirt sitting on green grass field

Photo by Jose Vazquez / Unsplash

अब भारतीयों ने योग सीखना और उसकी जरूरत महसूस करना शुरू कर दिया है। पहले की अवधि के दौरान भारत में आर्थिक और अन्य स्थितियां ऐसी थीं कि योग का अभ्यास करना पड़ता था, क्योंकि भारत बहुत समृद्ध था। इसे 'सोने की चिड़िया' के नाम से जाना जाता था। लेकिन आज अमेरिका को सोने की चिड़िया के नाम से जाना जाता है। आज ज्यादातर भारतीय नौकरी, करियर और अपना भाग्य बनाने के लिए अमेरिका जाने का सपना देखते हैं। पहले एक समय था जब पश्चिम और मध्य पूर्व के लोग अवसरों के लिए भारत आते थे।

उत्तर प्रदेश, बिहार और बंगाल, दक्षिण का क्षेत्र कभी ठीक वैसा ही था जैसे हम अब अवसरों के लिए खाड़ी देशों में जाते हैं। यही इस देश की दौलत और समृद्धि थी। नृत्य, नाटक, संगीत और कला से भारत विकसित था। इससे आप समझ सकते हैं कि इस देश में समाज और सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक संस्कृति बहुत महान थी।

लेकिन समृद्धि के परिणामस्वरूप वे भोग से ग्रस्त थे और इसलिए समय-समय पर विभिन्न गुरुओं द्वारा योग विज्ञान का प्रचार किया जाता था। सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संस्कृति पश्चिम में वही है जो लगभग 2,000 या 2,500 साल पहले भारत में थी। लेकिन अब भारत में भी ऐसा ही हो रहा है। आर्थिक तौर पर विकसित हो रहा भारत तमाम तरह की सुख सुविधाओं में भी कैद हो रहा है। और भोग और सुविधाओं की यह अति चाहत तमाम तरह के रोग को जन्म देती है। लेकिन भारत और पश्चिमी देशों में एक अंतर भी है। भारत एक महान संस्कृति का देश रहा है। यहां का दर्शन विराट है। पश्चिम के पास इसका अभाव है।

पश्चिम का मन एक दार्शनिक शून्य है जो मानसिक रोगों का निर्माण करता है, और इसलिए मनोवैज्ञानिक समस्याएं वहां बहुत अधिक मौजूद हैं और भारत में बहुत कम है। यही कारण है कि पश्चिम में योग ज्यादा स्वीकार्य हो रहा है। कहने का तात्पर्य यह है कि योग का विकास समृद्धि से ही होता है। क्योंकि सुख सुविधाएं, लिप्सा शरीर को ऐसे मुकाम पर ले जाती हैं, जहां उसका निदान सिर्फ योग ही कर सकता है। योग एकमात्र ऐसी चीज है जिसका आप अभ्यास कर सकते हैं। ताकि आपके शरीर के भीतर गुणवत्ता, व्यवहार और प्रतिक्रियाओं में सुधार हो सके। और मानसिक तल पर भी मजबूत हुआ जा सके।

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