भारतीय शास्त्रीय संगीत को बढ़ावा देने के लिए न्यूयॉर्क और भारत की गैर-लाभकारी संस्था सुरोमुर्चना फाउंडेशन (Suromurchhana Foundation) ने तबला वादक स्वपन चौधरी को प्रथम पंडित ए. कानन एवं विदुषी मालाबिका कानन पुरस्कार से सम्मानित किया है। यह सम्मान उन्हें भारतीय शास्त्रीय संगीत में उनके व्यापक योगदान को देखते हुए किया गया है। कार्यक्रम न्यूयॉर्क शहर के स्कैंडिनेविया हाउस में आयोजित हुआ। पुरस्कार समारोह में शहर भर के संगीत प्रेमियों ने हिस्सा लिया था।
भारत में पद्म अवार्डी पंडित स्वपन चौधरी ने पुरस्कार ग्रहण करने के बाद कहा, “यह पुरस्कार मेरे दिल को बहुत सुकून देने वाला इसलिए भी है, क्योंकि दिवंगत पंडित ए. कानन के साथ मेरे व्यक्तिगत संबंध हैं। उन्होंने मेरे करियर की शुरुआत में अमूल्य सहयोग दिया।" कार्यक्रम की शुरुआत सुरोमुर्चना कलाकारों नमामी करमाकर और संयुक्ता रंगनाथन की हिंदुस्तानी-कर्नाटक गायन जुगलबंदी के साथ हुई। दिन छूने वाली इस प्रस्तुति में तबला अमित चटर्जी, हारमोनियम अनिर्बान चक्रवर्ती और मृदंगम काबिलन जेगनाथन ने दिया।
पुरस्कार वितरण के बाद, सुरोमुर्चना के संस्थापक और गायक संजय बनर्जी के साथ हारमोनियम पर अनिर्बान चक्रवर्ती प्रस्तुति दी। राग छायानट, श्याम कल्याण, शहाना कनाड़ा और भजन चलो मन गंगा जमुना तीर की उनकी प्रस्तुति को जोरदार तालियां मिलीं।
गौरतलब है कि 2007 में कोलकाता में संजय बनर्जी द्वारा स्थापित सुरोमर्चना की कल्पना स्वर्गीय मालाबिका कानन ने की थी। यह भारत, अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यक्तिगत और ऑनलाइन दोनों तरह से संगीत कक्षाएं देता है।
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