अमेरिका की प्रमुख यूनिवर्सिटीज में अंतरराष्ट्रीय छात्रों के F-1 स्टूडेंट वीजा और SEVIS रिकॉर्ड के अचानक रद्द होने की घटनाओं ने सैकड़ों छात्रों को दहशत में डाल दिया है। इस घटनाक्रम में सबसे ज्यादा प्रभावित भारतीय छात्र बताए जा रहे हैं, जो अमेरिका में विदेशी छात्रों का सबसे बड़ा समूह हैं। कोलंबिया यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिल्वेनिया, यूसीएलए, विस्कॉन्सिन-मैडिसन और कार्नेगी मेलन यूनिवर्सिटी जैसी बड़ी संस्थाओं ने बीते दिनों दर्जनों छात्रों के वीज़ा और SEVIS टर्मिनेशन की पुष्टि की है।
क्या है मामला?
कोलंबिया यूनिवर्सिटी ने 6 अप्रैल को पुष्टि की कि पिछले दो दिनों में चार छात्रों के वीज़ा रद्द कर दिए गए हैं, जबकि पेनसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी ने बताया कि यह घटनाएं कैंपस विरोध प्रदर्शनों से जुड़ी नहीं हैं, बल्कि “इमिग्रेशन स्टेटस से जुड़ी तकनीकी वजहों” के चलते हुई हैं। लेकिन फुलब्राइट स्कॉलर रंजनी श्रीनिवासन की कहानी कुछ और ही कहती है। कोलंबिया की छात्रा रंजनी बताती हैं कि उनके वीज़ा रद्द होने के बाद तीन इमिग्रेशन अधिकारी उनके अपार्टमेंट पर पहुंचे और उन्हें डिपोर्टेशन की चेतावनी दी गई। उनका कहना है कि यह कार्रवाई उनके द्वारा इज़राइल-हमास संघर्ष पर आयोजित प्रदर्शनों में भाग लेने के चलते की गई है।
भारतीय मूल के अन्य छात्र भी निशाने पर
एक अन्य भारतीय मूल के स्कॉलर बदर खान सूरी को भी हिरासत में लिया गया है। उन पर हमास की विचारधारा फैलाने का आरोप है—हालांकि उनके खिलाफ अभी तक कोई अदालत में दोष साबित नहीं हुआ है। इस तरह का ही मामला महमूद खलील, एक फिलिस्तीनी मूल के छात्र, के साथ भी सामने आया था, जिसकी गिरफ्तारी पर मानवाधिकार संगठनों ने कड़ी आपत्ति जताई थी।
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असमंजस में यूनिवर्सिटी प्रशासन
विस्कॉन्सिन-मैडिसन यूनिवर्सिटी का कहना है कि SEVIS टर्मिनेशन तो आम प्रक्रिया है, लेकिन इस बार इसकी “संख्या और तीव्रता असामान्य रूप से अधिक” है। वहीं, कार्नेगी मेलन यूनिवर्सिटी ने स्पष्ट किया कि छात्रों या विश्वविद्यालय को कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई। मिनेसोटा की सेंट क्लाउड स्टेट यूनिवर्सिटी ने कहा है कि उनके यहां 10 से कम छात्रों के रिकॉर्ड हटाए गए हैं। विश्वविद्यालय ने अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए टाउनहॉल मीटिंग्स भी आयोजित की हैं।
कानूनी चुनौती
कैलिफोर्निया में एक अंतरराष्ट्रीय छात्र, "स्टूडेंट डो #1", ने DHS सचिव क्रिस्टी नोएम और ICE के कार्यकारी निदेशक टॉड लायन्स के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। उनका आरोप है कि बिना उचित प्रक्रिया के उनका SEVIS रिकॉर्ड रद्द कर दिया गया।
मुकदमे में कहा गया,"यह नीति छात्रों को डराकर अमेरिका छोड़ने के लिए मजबूर करती है, जबकि उन्होंने कोई कानूनी उल्लंघन नहीं किया।" पेनसिल्वेनिया में एक अन्य छात्र ने क्लास एक्शन मुकदमा दायर किया है। उनका कहना है कि उन पर “डिसऑर्डरली कंडक्ट” का आरोप था जो बाद में खारिज हो गया, फिर भी उनका SEVIS रिकॉर्ड टर्मिनेट कर दिया गया।
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