अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भारत को रूस से तेल खरीदने पर टैरिफ बढ़ाने की धमकी देने के बाद रूस ने मंगलवार को तीखी प्रतिक्रिया दी। क्रेमलिन ने अमेरिका पर भारत जैसे संप्रभु देशों पर "अवैध व्यापारिक दबाव" डालने का आरोप लगाया और कहा कि ऐसे कदम अंतरराष्ट्रीय व्यापार सिद्धांतों के खिलाफ हैं।
क्रेमलिन प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने पत्रकारों से कहा, हम ऐसे कई बयान सुनते हैं जो वास्तव में धमकियां हैं, यह कोशिश है कि देशों को रूस के साथ व्यापारिक संबंध तोड़ने पर मजबूर किया जाए। हम इन बयानों को वैध नहीं मानते।
उन्होंने आगे कहा कि, हम मानते हैं कि संप्रभु देशों को यह अधिकार है कि वे अपने व्यापारिक साझेदार खुद चुनें — यह निर्णय उस देश के राष्ट्रीय हितों के अनुसार होना चाहिए, किसी बाहरी दबाव के तहत नहीं।
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गौरतलब है कि राष्ट्रपति ट्रम्प ने एलान किया है कि शुक्रवार से रूस के खिलाफ नई पाबंदियां लागू होंगी, और उन देशों पर भी कार्रवाई होगी जो अब भी रूसी ऊर्जा उत्पाद खरीद रहे हैं। ट्रम्प ने यह चेतावनी यूक्रेन युद्ध को लेकर दी है, जो पिछले साढ़े तीन सालों से जारी है। हालांकि, राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने युद्ध को लेकर अब तक कोई रुख नहीं बदला है और संकेत दिए हैं कि रूस अपनी नीति पर कायम रहेगा।
भारत ने ट्रम्प की धमकी को बताया 'अनुचित'
नई दिल्ली ने ट्रम्प के बयानों को अनुचित करार दिया है और कहा है कि वह अपने आर्थिक हितों की रक्षा करेगा। इससे भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव और बढ़ सकता है। सरकारी सूत्रों ने रॉयटर्स को बताया कि भारत ट्रम्प के दबाव के बावजूद रूस से तेल खरीदना जारी रखेगा। सूत्रों के अनुसार, भारत की ऊर्जा सुरक्षा सर्वोपरि है और हम उस देश से तेल खरीदेंगे जो हमें सबसे बेहतर और सस्ता सौदा देगा।
भारत पहले भी कई बार कह चुका है कि वह रूस से तेल अपनी जरूरतों और कीमत के आधार पर खरीदता है, और यह किसी भी द्विपक्षीय या भू-राजनीतिक दबाव में नहीं आता।
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