भारतीय रुपया पिछले हफ्ते पहली बार 88 प्रति डॉलर के पार चला गया और इसके बाद से उस पर दबाव लगातार बना हुआ है। आज यानी 1 सितम्बर को भी रुपया कमजोर ही खुलने की संभावना है।
29 अगस्त को रुपया रिकॉर्ड स्तर 88.3075 तक गिर गया। विदेशी निवेशकों ने करीब 950 मिलियन डॉलर के शेयर बेच दिए वहीं आयातकों और सटोरियों की ओर से डॉलर की भारी मांग रही।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने 88 के स्तर को बचाने के लिए ज्यादा आक्रामक दखल नहीं दिया।
एक बैंकर के मुताबिक भारी इक्विटी आउटफ्लो और डॉलर की मांग देखते हुए RBI ने शायद संकेत दिया है कि वह किसी स्तर को ‘हर हाल में बचाने’ की नीति पर नहीं चलेगा। अब बाजार यह देखने की कोशिश कर रहा है कि RBI किस स्तर पर और गिरावट रोकने के लिए सख्ती से आगे आएगा।
विशेषज्ञ मानते हैं कि जून तिमाही में भारत की जीडीपी उम्मीद से बेहतर रही है। लेकिन कुछ का कहना है कि यह उछाल अस्थायी कारकों (सरकारी खर्च, निर्यात की जल्दबाजी, सॉफ्ट डिफ्लेटर्स) के कारण था जो आगे टिकेगा नहीं।
एशियाई दबाव
बाकी एशियाई करेंसी भी इस हफ्ते कमजोर रहीं हैं जिससे रुपये को सपोर्ट नहीं मिल सका है। अब सबकी नजर अमेरिकी जॉब डेटा पर है जो यह तय करेगा कि फेडरल रिजर्व इस साल कितनी गहराई से ब्याज दरों में कटौती करेगा।
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