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ट्रम्प के दोबारा राष्ट्रपति बनने पर वेबिनार सीरीज, इमिग्रेशन-भारत के साथ संबंधों पर होगी चर्चा

सीऐटल यूनिवर्सिटी का राउंडग्लास इंडिया सेंटर फरवरी 2025 से एक खास वेबिनार सीरीज शुरू कर रहा है। इसमें भारतीय-अमेरिकियों पर ट्रम्प के दोबारा राष्ट्रपति बनने के असर का गहराई से अध्ययन किया जाएगा। ये सीरीज 13 फरवरी से शुरू हो रही है।

 ट्रम्प के व्हाइट हाउस वापस आने से भारतीय-अमेरिकियों के लिए एक अहम दौर शुरू हो गया है। / File photo/ Reuters

सिएटल यूनिवर्सिटी का राउंडग्लास इंडिया सेंटर फरवरी 2025 में एक वेबिनार सीरीज शुरू कर रहा है। इसमें जानकार लोग, सरकारी एक्सपर्ट्स और बड़े नेता मिलकर इसकी विविचना करेंगे कि ट्रम्प के दोबारा राष्ट्रपति बनने पर भारतीय-अमेरिकियों और भारत-अमेरिका के रिश्तों पर क्या असर पड़ेगा। ट्रम्प के व्हाइट हाउस वापस आने से भारतीय-अमेरिकियों के लिए एक अहम दौर शुरू हो गया है। इमीग्रेशन पॉलिसी से लेकर अफर्मेटिव एक्शन और हेल्थकेयर तक, ये कम्युनिटी अब अमेरिका की राजनीति के महत्वपूर्ण मुद्दों में काफी सामने आ रही है। ये वेबिनार इन जरूरी मसलों पर चर्चा करेगा।

राउंडग्लास इंडिया सेंटर की संस्थापक डायरेक्टर और सिएटल यूनिवर्सिटी लॉ स्कूल की एसोसिएट डीन सीतल कालंत्री ने कहा, 'आजकल लोगों को बड़ी-बड़ी खबरों वाली वेबसाइट्स और चैनलों पर भरोसा कम हो रहा है। ऐसे में, हमारी वेबिनार सीरीज सोच-समझकर और एक्सपर्ट्स की मदद से चर्चा करने का एक मंच देगी। हम अपने कम्यूनिटी को जरूरी जानकारी देना और उन्हें मजबूत बनाना चाहते हैं जिससे वो प्रैक्टिकल फायदा उठा सकें।'

इमीग्रेशन की बढ़ती मुश्किलों पर चर्चा 

ये सीरीज 13 फरवरी को इमीग्रेशन की बढ़ती मुश्किलों पर चर्चा से शुरू होगी। भारतीय-अमेरिकी लोग H-1B वीजा का सबसे अधिक फायदा उठाने वाले हैं। लेकिन अब इतना बड़ा बैकलाॅग हो गया है कि हजारों लोग अधर में लटके हुए हैं। वो दशकों तक स्थायी निवासी होने का इंतजार करते हुए नौकरी भी नहीं बदल पा रहे हैं। राउंडग्लास के मुताबिक, एक हैरान करने वाली बात सामने आई है। अमेरिका में भारत से अवैध रूप से आने वाले लोगों की तादाद बहुत बढ़ गई है। अक्टूबर 2022 से सितंबर 2023 के बीच तकरीबन 100,000 भारतीयों को अमेरिकी बॉर्डर पर पकड़ा गया। ट्रम्प के चुनाव प्रचार में जबरदस्ती देश निकाला और वीजा पर और पाबंदियों का वादा किया गया है। इससे कानूनी और गैर-कानूनी दोनों तरह के भारतीय प्रवासियों के भविष्य को लेकर सवाल उठ रहे हैं। इस पैनल में मुजफ्फर चिश्‍ती (माइग्रेशन पॉलिसी इंस्टिट्यूट) और जेफ लैंडे (हाई-स्किल इमीग्रेशन और आउटसोर्सिंग पॉलिसी के एक्सपर्ट) बात करेंगे।

हेल्थकेयर सेक्टर पर चर्चा

26 मार्च को हेल्थकेयर सेक्टर पर चर्चा होगी। इस सेक्टर में भारतीय-अमेरिकियों का काफी महत्वपूर्ण योगदान है। अमेरिका के लगभग 10 फीसदी डॉक्टर भारतीय मूल के हैं। लेकिन इस कम्युनिटी में डायबिटीज और दिल की बीमारियों के मामले अधिक हैं और ये मुद्दे अक्सर सरकारी हेल्थ पॉलिसी में नजरअंदाज किए जाते हैं। एक और महत्वपूर्ण मसला ये है कि एशियाई और साउथ एशियाई महिलाओं पर अबॉर्शन कानूनों का असर अधिक हो रहा है। ये ट्रम्प के न्यायाधीशों की नियुक्तियों का नतीजा है। ये पैनल देखेगा कि क्या ट्रम्प की सरकार बढ़ती मेडिकल लागत को कम करेगी, NIH फंडिंग में कटौती से हेल्थ रिसर्च पर क्या असर पड़ेगा और रिप्रोडक्टिव राइट्स का क्या होगा। इसमें विन गुप्ता (NBC के पल्मोनोलॉजिस्ट और मेडिकल एनालिस्ट) और सीमा महापत्रा (साउदर्न मेथोडिस्ट यूनिवर्सिटी की हेल्थ लॉ एक्सपर्ट) बात करेंगी। 

एजुकेशन और दाखिले पर चर्चा

2023 में अफर्मेटिव एक्शन को खत्म कर दिया गया। इससे बहुतों को लग रहा था कि बड़े-बड़े विश्वविद्यालयों में ज्यादा एशियाई-अमेरिकी छात्र दाखिला लेंगे। लेकिन हकीकत कुछ अलग रही। राउंडग्लास के मुताबिक, MIT में 2024 में एशियाई-अमेरिकी छात्रों का दाखिला बढ़ा, लेकिन येल जैसे दूसरे विश्वविद्यालयों में पहले जितने ही छात्र दाखिल हुए। दाखिले के अलावा, ट्रम्प प्रशासन पाठ्यक्रम, भेदभाव विरोधी नीतियों और कैंपस में होने वाले विरोध प्रदर्शनों को प्रभावित करने की कोशिश कर सकता है। इससे उच्च शिक्षा पर केंद्र सरकार के नियंत्रण को लेकर संवैधानिक सवाल उठते हैं। 9 अप्रैल को इस पैनल में एडुआर्डो पेनाल्वर (सिएटल यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंट) और माइकल सी. डॉर्फ (कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में संवैधानिक कानून के एक्सपर्ट) शामिल होंगे।

भारत-अमेरिका के रिश्तों पर चर्चा

16 मई को आखिरी सेशन में ट्रम्प की 'अमेरिका फर्स्ट' पॉलिसी का भारत-अमेरिका के रिश्तों पर क्या असर पड़ेगा, इस पर बात होगी। उनके पहले कार्यकाल में BECA जैसे समझौतों से सुरक्षा संबंध मजबूत हुए, लेकिन साथ ही व्यापारिक विवाद और वीजा प्रतिबंध भी लगे। अब ट्रम्प के समर्थकों में भी फूट है। सिलिकॉन वैली के अरबपति जो भारतीय तकनीकी कर्मचारियों पर निर्भर हैं। राष्ट्रवादी गुट उच्च-कुशल प्रवास पर आपत्ति करते हैं। इससे मामला और भी उलझ गया है। ब्रुकिंग्स इंस्टिट्यूशन की तन्वी मदन और कार्नेगी एंडोमेंट के मिलन वैष्णव जैसे जानकार बताएंगे कि अगले चार साल अमेरिका और भारत के राजनयिक और आर्थिक संबंधों को कैसे प्रभावित कर सकते हैं। 

इंडियन अमेरिकन कम्युनिटी सर्विसेज और साउथ एशियन बार एसोसिएशन ऑफ वाशिंगटन जैसे संगठनों के साथ मिलकर आयोजित इस सीरीज में सभी तरह के लोगों को भारतीय-अमेरिकी अनुभव को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर बात करने के लिए बुलाया जाएगा। कालंत्री ने कहा, 'हाल ही में, भारतीय-अमेरिकी समुदाय राष्ट्रीय बहस का केंद्र बिंदु बन गया है, जो ट्रम्प के समर्थकों के बीच वैचारिक मतभेदों में फंसा हुआ है। हमारा लक्ष्य इन चुनौतियों पर प्रकाश डालना और यह पता लगाना है कि नीतिगत बदलाव अमेरिका-भारत संबंधों के भविष्य और इस जटिल परिदृश्य में भारतीय-अमेरिकियों की भूमिका को कैसे आकार दे सकते हैं।'

 

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