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विपक्ष की आलोचना के बीच चुनावी बॉन्ड पर पीएम मोदी अडिग

पीएम मोदी ने इस बात को भी दरकिनार कर दिया कि चुनावी बॉन्ड विवाद ने उनकी सरकार को झटका दिया है। पीएम ने साफ तौर पर कहा कि उनका प्रशासन शासन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर दृढ़ है।

भारत का सर्वोच्च न्यायालय। / Image : X@indSupremeCourt

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी बॉन्ड डेटा के मुद्दे पर विपक्षी दलों द्वारा उठाई गई चिंताओं को खारिज करते हुए कहा है कि किसी भी कथित कमी को दूर किया जा सकता है। पीएम मोदी ने तो यहां तक कहा कि इसकी आलोचना करने वाले विपक्ष को जल्द ही अपने रुख पर पछतावा होगा।

एक समाचार चैनल के साथ इंटरव्यू में पीएम मोदी ने इस बात को भी दरकिनार कर दिया कि चुनावी बॉन्ड विवाद ने उनकी सरकार को झटका दिया है। पीएम ने साफ तौर पर कहा कि उनका प्रशासन शासन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर दृढ़ है।

आलोचकों को संबोधित करते हुए मोदी ने चुनावी लाभ से परे देश के हितों की सेवा के प्रति अपने समर्पण पर जोर देते हुए कहा कि हर कदम या काम का राजनीतिकरण करने से परहेज करने की आवश्यकता है। भारत की प्रगति में एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता के रूप में तमिलनाडु की क्षमता पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने 'विकसित भारत' के अपने दृष्टिकोण को रेखांकित किया जहां हर क्षेत्र प्रगति का अनुभव करता है।

प्रधानमंत्री ने सवाल किया कि मुझे बताइये कि हमने ऐसा क्या किया है कि मैं इसे एक झटके के रूप में देखूं? मेरा दृढ़ विश्वास है कि जो लोग इस पर (बॉन्ड डेटा) नाच रहे हैं और इस पर गर्व कर रहे हैं, वे पश्चाताप करेंगे।

चुनावी बॉन्ड प्रणाली के संबंध में पीएम मोदी ने इसके कार्यान्वयन का बचाव करते हुए कहा कि इसने स्रोतों और लाभार्थियों का खुलासा करके राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता की सुविधा प्रदान की है। यह सुझाव देते हुए कि मौजूदा प्रणाली ने पहले की प्रथाओं की तुलना में पारदर्शिता में सुधार किया है पीएम मोदी ने आलोचकों को 2014 से पहले के राजनीतिक फंडिंग डेटा का खुलासा करने की चुनौती दी। 

उन्होंने कहा कि महज इसलिए कि मैं एक राजनेता हूं इसका अर्थ यह नहीं है कि मैं केवल चुवान जीतने के लिए काम करता हूं। तमिलनाडू में बहुत क्षमताएं हैं जिन्हे व्यर्थ नहीं किया जाना चाहिए। 

क्या है चुनावी बॉन्ड कैसे शुरू हुआ सियासी विवाद
2017 में पेश किए गए चुनावी बॉन्ड ने व्यक्तियों और कॉर्पोरेट संस्थाओं को गुमनाम रहते हुए राजनीतिक दलों को अप्रतिबंधित धन योगदान करने की अनुमति देकर भारत में राजनीतिक फंडिंग के परिदृश्य को बदल दिया है। हालांकि, फरवरी के मध्य में सुप्रीम कोर्ट के हालिया ऐतिहासिक फैसले ने अप्रैल-मई में होने वाले आगामी लोकसभा चुनावों से कुछ हफ्ते पहले लंबे समय से चली आ रही चुनावी फंडिंग व्यवस्था को अमान्य करार दिया। 
 

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