सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X ने सोमवार को कहा कि वह भारतीय अदालत के उस आदेश के खिलाफ अपील करने की योजना बना रहा है जिसके तहत देश भर के 20 लाख से अधिक पुलिस अधिकारी सहयोग नामक एक गोपनीय ऑनलाइन पोर्टल के जरिए मनमाने ढंग से सामग्री हटाने के अनुरोध जारी कर सकेंगे।
X ने प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट में कहा कि हम अभिव्यक्ति की आजादी की रक्षा के लिए इस आदेश के खिलाफ अपील करेंगे। यह कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा पिछले सप्ताह दिए गए उस फैसले के बाद पहला बयान था जिसमें कहा गया था कि भारत के कंटेंट हटाने के तंत्र को रद्द करने के लिए कंपनी की कानूनी चुनौती में कोई कानूनी दम नहीं है।
X ने सोमवार को कहा कि सहयोग अधिकारियों को सिर्फ 'अवैधता' के आरोपों के आधार पर, बिना न्यायिक समीक्षा या वक्ताओं के लिए उचित प्रक्रिया के, कंटेंट हटाने का आदेश देने में सक्षम बनाता है और अनुपालन न करने पर प्लेटफॉर्म पर आपराधिक दायित्व की धमकी देता है।
X ने पहले भी नई दिल्ली के साथ टकराव किया है और सरकारी तंत्र को सेंसरशिप के बराबर बताया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने कहा है कि नई प्रणाली गैरकानूनी सामग्री के प्रसार से निपटती है और ऑनलाइन जवाबदेही सुनिश्चित करती है।
X के मालिक इलॉन मस्क खुद को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का निरपेक्ष समर्थक बताते हैं और कई देशों में अनुपालन और सामग्री हटाने की मांगों को लेकर अधिकारियों से भिड़ चुके हैं लेकिन कंपनी के भारतीय मुकदमे ने दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश में इंटरनेट नियमन को सख्त करने के पूरे आधार को ही निशाना बनाया।
मोदी सरकार ने 2023 से इंटरनेट पर निगरानी बढ़ाने के प्रयासों को तेज कर दिया है और इसके लिए उसने कई और अधिकारियों को अक्टूबर में शुरू की गई एक वेबसाइट के जरिए इंटरनेट हटाने के आदेश दर्ज करने और उन्हें सीधे तकनीकी कंपनियों को सौंपने की अनुमति दे दी है।
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