नदी किनारे, छिछले पानी में, कुछ पौधे लगे हुए थे। उन पर हल्के गुलाबी, बहुत ही प्यारे फूल खिले थे। शक्ल-शुरत बिलकुल ग्रामोफोन जैसी थी। खुशबू तो नहीं थी इनमें, मगर कुछ ऐसा था कि मेरी नजरें इन पर ही टिक गईं। नाम पता चला, 'बेहाया के फूल'। ये नाम इनकी जिद की वजह से पड़ा है। ये कहीं भी फैल जाते हैं और जिंदा रहने की पूरी कोशिश करते हैं।
बेहाया मेरी स्मृतियों में बसी रही पर यहां दिखती नहीं थी। एक बार मैं माइकल जैक्सन के जन्मस्थान देखने गई थी। उनके घर से थोड़ी दूर, एक घर की बाड़ पर, बैंगनी रंग के फूलों का सागर था। बिलकुल बेहाया के फूल जैसे ही, बस रंग बैंगनी था और थोड़े छोटे। मैंने फटाफट एक फोटो खींच ली और कार पार्किंग की तरफ चल पड़ी। घर आकर गूगल लेंस से पता किया इन बैंगनी फूलों का नाम। वाह। क्या खूबसूरत नाम रखा है- 'मॉर्निंग ग्लोरी।'
इस फूल के नाम और खूबसूरती में खोई-खोई मैं इसकी जानकारी कहां ढूंढ पाती? मजबूरन गूगल भैया के पास ही जाना पड़ा। और क्या मिले, ढेर सारे प्यारे-प्यारे किस्से इस फूल के बारे में। जापान की कहानियों में ये प्यार, स्नेह और शुक्रगुजारी को दिखाता है। वहीं, वहां के लोग इसे जिंदगी की नाज़ुकी का भी प्रतीक मानते हैं। चीन में इसे प्यार का प्रतीक समझते हैं। दो आशिकों के मिलन की निशानी मानते हैं। अमेरिका में इसे ताकत और लचीलेपन से जोड़ते हैं। मेक्सिको में इसे प्राचीन कहानियों से जोड़कर बलिदान और तपस्या का नाम देते हैं।
इन सब लोककथाओं में मुझे चीन की लोककथा सबसे ज्यादा पसंद आई। इससे मिलती-जुलती कहानियां मैंने बचपन में नानी से भी सुनी हैं। तो रही बात चीन की उस कहानी की...
आकाश के सम्राट और स्वर्ग की रानी की बेटी 'ची निउ' थी। उसका काम सुंदर सूर्योदय और सूर्यास्त बुनने का था। देवताओं का एक शाही चरवाहा 'चिएन निऑन' था, जो उनकी भैंसों को चराता था। चिएन-ची को प्रेम हो गया। उन दोनों ने देवताओं से छुपकर शादी कर ली। देवताओं की नाराजगी लाजिम थी। पर किसी तरह ची निउ ने उन्हें मना लिया। देवताओं का हुक्म हुआ, जो हुआ सो हुआ लेकिन हमारे काम में कभी कोई बाधा न पड़े।
अब प्यार में बाधा न हो तो प्यार क्या? एक दिन, प्यार में डूबे ये जोड़ा अपना काम भूल गया। न सूरज ठीक से निकला, न भैंसों का पता चला। देवता गुस्से से आग-बबूला हो गए। सिर्फ प्यार से दुनिया नहीं चलती। प्यार-मोहब्बत अच्छी बात है, पर काम-धंधा भी तो जरूरी है, ऐसे ही कुछ सोचकर देवताओं ने इन्हें बहुत सख्त सजा सुनाई- 'अब से तुम साल में सिर्फ एक ही बार मिल सकते हो।' चरवाहे को धरती पर भेज दिया गया और स्वर्ग की रानी की बेटी स्वर्ग में ही रही। ये दोनों हर साल मिलने के दिन का बेसब्री से इंतजार करते थे। उनके इंतजार ने लता का रूप ले लिया। वो लता आसमान की तरफ बढ़ती गई और एक पुल बन गई। जिस दिन ये मिलते थे, उसी दिन मॉर्निंग ग्लोरी के फूल खिलते थे।
मॉर्निंग ग्लोरी केवल एक दिन के लिए खिलते हैं, इसलिए उन्हें उनके वर्जित प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है। शाम तक फूल मुरझा जाते और फिर अब विदा का समय और एक लम्बा इंतजार ...
वहीं, जापानी लोककथाओं में, मॉर्निंग ग्लोरी का फूल 'इजानागी और इजानामी' की कहानी से जुड़ा है। ये दुनिया के देवता और देवी थे। कहते हैं कि ये फूल वहीं उगा था, जहां इजानामी को दफनाया गया था। ये फूल उनके प्यार और खूबसूरती का प्रतीक है।
इन कहानियों ने, मॉर्निंग ग्लोरी के नाम ने और इसके खूबसूरत रंग ने मेरा दिल ऐसा जीत लिया कि मैं इसके बीज ले आई। अगर प्यार बोना इतना आसान होता, तो स्वर्ग तक रास्ता बनाने की क्या जरूरत पड़ती। मेरी पहली लता में फंगस लग गया। दूसरी तेज हवा और बारिश में बर्बाद हो गई। मगर मैंने उम्मीद नहीं छोड़ी और बाकी दो बेलों पर ध्यान दिया। ये मॉर्निंग ग्लोरी का ही प्यार था कि पहला फूल आठ मार्च को खिल गया।मैं इतनी खुश हुई कि कभी इसे शुक्रिया कहती, कभी प्रकृति को। अब तो रोजाना एक-दो बैंगनी फूल मेरी छोटी सी बगिया में प्यार दिखाते हैं। मेरी आंखों में भी प्यार का रंग भरा रहता है...
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