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Florida: जैन मंदिरों, कम्युनिटी सेंटर्स में पर्युषण, दस लक्षण उत्सव की धूम

उत्तरी अमेरिका में इस विशेष वार्षिक पर्व के दौरान एकत्र हुए जैन कम्युनिटी के लोग दैनिक प्रार्थना, धर्मग्रंथों पर प्रवचन, ध्यान सत्र और सामुदायिक सेवा के कार्यों में शामिल हुए।

नॉर्थ अमेरका में जैन पर्युषण, दस लक्षण उत्सव / JAINA

जैन धर्म के प्रमुख वार्षिक पर्व पर्युषण और दस लक्षण चिंतन, उपवास, प्रार्थना और क्षमा को महत्व देने वाला उत्सव है।  उत्तरी अमेरिका में जैन संघों के महासंघ (JAINA) की घोषणा पर इसे इस वर्ष 6 सितंबर को मनाया गया। उत्सव के दौरान दक्षिण अमेरिका में हजारों जैन परिवारों ने मंदिरों, सामुदायिक केंद्रों और घरों में अनोखी रौनक देखी गई। उत्सव की भव्यता देखते ही बन रही थी। परंपरा के मुताबिक, पर्व के दौरान जैन धर्मावलंबी दैनिक प्रार्थना, धर्मग्रंथों पर प्रवचन, ध्यान सत्र और सामुदायिक सेवा के कार्यों में शामिल हुए।

इस मौके पर कई लोगों ने उपवास को अनुशासन और आत्मचिंतन किया। पर्व  का समापन क्षमापना (क्षमा) के साथ हुआ, जिसमें जैनियों ने क्षमा याचना की। इस परंपरा में "मिच्छामी दुक्कड़म", "उत्तम क्षमा" और "खमत खमना" का प्रचलन है। 

बता दें कि जैन धर्म में पर्युषण दस लक्षण पर्व जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह आठ या दस दिनों तक चलता है और इसमें दस 'उत्तम' गुणों का पालन किया जाता है, जिनमें क्षमा, सत्य, तप, त्याग और ब्रह्मचर्य का पालन भी शामिल है।

 

नॉर्थ अमेरका में यह वार्षिक पर्व धूमधाम ने मनाया गया। / JAINA

पर्व की परंपरा में "मिच्छामी दुक्कड़म", "उत्तम क्षमा" और "खमत खमना" का प्रचलन है। इस मौके पर एक बयान में पर्व के महत्व का जिक्र करते हुए  जैना के अध्यक्ष बिंदेश शाह ने कहा, "पर्युषण हमें रुकने, चिंतन करने और करुणा व क्षमा के साथ खुद को नवीनीकृत करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है। पूरे पर्व के दौरान उत्तरी अमेरिका में, युवा और वृद्ध जनों को शामिल हुए, जो काफी उत्साहजनक था।"

पर्युषण और दश लक्षण, जैन धर्म का सबसे महत्वपूर्ण वार्षिक उत्सव है, जिसे उत्तरी अमेरिका में हजारों जैन परिवार फेडरेशन ऑफ जैन एसोसिएशन्स इन नॉर्थ अमेरिका (JAINA) के नेतृत्व में मनाते हैं। यह पर्व JAINA ने क्षमा, करुणा और स्वस्थ जीवन - शारीरिक, मानसिक और आध्यात्म के शाश्वत मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए आयोजित किया जाता है। 

दरअसल, जैना की स्थापना वर्ष 1981 में की गई थी, जो वर्तमान में 70 से अधिक जैन केंद्रों और संगठनों को एकजुट करने का कार्य करता है।  इसके साथ ही संगठन अहिंसा (अहिंसा), अपरिग्रह (असंगति) और अनेकांतवाद (अपरिग्रह) को बढ़ावा देने केसात जैन धर्म के शाश्वत मूल्यों को संरक्षित करता है। यही नहीं जैना शाकाहार, शाकाहारी भोजन, ध्यान और जन कल्याण संबंधी पहलों का समर्थन भी करता है। 
 

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