अमेरिकी लोकतंत्र को लेकर इन दिनों गंभीर सवाल उठ रहे हैं। ट्रम्प प्रशासन के वरिष्ठ सलाहकार और व्हाइट हाउस के उप प्रमुख स्टीफन मिलर ने हैबियस कॉर्पस जैसे बुनियादी लोकतांत्रिक अधिकार को निलंबित करने की संभावना जताई है। यह बयान न सिर्फ अमेरिकी संविधान की आत्मा को चुनौती देता है, बल्कि यह संकेत देता है कि क्या अमेरिका धीरे-धीरे अधिनायकवाद की ओर बढ़ रहा है?
हैबियस कॉर्पस: लोकतंत्र की रीढ़
हैबियस कॉर्पस वह संवैधानिक अधिकार है जो किसी भी व्यक्ति को अवैध या मनमाने ढंग से हिरासत में लिए जाने से बचाता है। यह अधिकार सुनिश्चित करता है कि गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को न्यायालय में पेश किया जाए और उसे अपनी बात रखने का अवसर मिले। लेकिन अब, स्टीफन मिलर के मुताबिक, राष्ट्रपति ट्रम्प इस अधिकार को निलंबित करने पर “गंभीरता से विचार” कर रहे हैं। कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, यह शक्ति केवल कांग्रेस को प्राप्त है, न कि राष्ट्रपति को।
ट्रम्प के बयानों से संस्थाएं निशाने पर
शिकागो यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अज़ीज़ हक़ ने कहा, “ट्रम्प ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा कि ‘ग़रीब लोगों’ के लिए मुकदमे करने में बहुत वक्त लगेगा, इसलिए वो कानून की प्रक्रिया से बचकर सीधा निर्णय लेना चाहते हैं। यह लोकतंत्र का घोर उल्लंघन है।” हक़ ने यह भी बताया कि अदालतों के आदेशों की अनदेखी और न्यायपालिका को डराने की प्रवृत्ति खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है। उन्होंने कहा, “अगर राष्ट्रपति अदालत के आदेश का पालन न करें, तो न्यायपालिका के पास कोई व्यावहारिक उपाय नहीं बचता।”
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‘लोकतांत्रिक दिखावे’ में छिपा अधिनायकवाद?
यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो के लोकतंत्र विशेषज्ञ लुकान अहमद वे के अनुसार, आज का अधिनायकवाद पारंपरिक तख्तापलट जैसा नहीं है, बल्कि इसे “प्रतिस्पर्धी अधिनायकवाद” (Competitive Authoritarianism) कहा जाता है — जहां चुनाव तो होते हैं, पर सत्ता पक्ष विपक्ष को इतना परेशान करता है कि लोकतंत्र सिर्फ दिखावा बन जाता है। उन्होंने भारत, हंगरी और तुर्की जैसे देशों का उदाहरण देते हुए कहा कि, “वहां विपक्ष को चुनाव लड़ने की अनुमति तो है, लेकिन उन्हें लगातार प्रताड़ित किया जाता है।” वे मानते हैं कि अमेरिका अब उसी दिशा में बढ़ रहा है।
जनता भी चिंतित: पोल में खुलासा
ABC News/Washington Post/Ipsos द्वारा कराए गए हालिया सर्वेक्षण के मुताबिक, 49% अमेरिकी नागरिक मानते हैं कि राष्ट्रपति ट्रम्प अपनी शक्तियों का अति विस्तार कर रहे हैं, कानून को दरकिनार कर रहे हैं और अमेरिका को उसकी लोकतांत्रिक जड़ों से दूर ले जा रहे हैं। पैनल के विशेषज्ञों ने चेताया कि जिस तेज़ी से अमेरिका में लोकतांत्रिक संस्थानों को कमजोर किया जा रहा है, वह अभूतपूर्व है। राष्ट्रपति ट्रम्प न्यायपालिका को सार्वजनिक रूप से निशाना बनाते हैं, अनुभवी विशेषज्ञों की जगह अपने वफादारों को सरकारी पदों पर नियुक्त कर रहे हैं, मीडिया और विश्वविद्यालयों को “राज्य विरोधी” बता कर बदनाम कर रहे हैं और सरकारी संस्थानों का इस्तेमाल विरोधियों को सज़ा देने और समर्थकों को इनाम देने के लिए किया जा रहा है।
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