अमेरिका में पढ़ाई कर रहे अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए चिंता बढ़ाने वाली खबर सामने आई है। डार्टमाउथ कॉलेज में कंप्यूटर साइंस के चीनी डॉक्टोरल छात्र शियाओतियन लियू का F-1 स्टूडेंट वीजा अमेरिकी होमलैंड सिक्योरिटी विभाग (DHS) द्वारा बिना किसी कारण और नोटिस के अचानक रद्द कर दिया गया। इस फैसले को अदालत में चुनौती दी गई है। ACLU न्यू हैम्पशायर (ACLU-NH) ने लियू की ओर से यूएस डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ऑफ न्यू हैम्पशायर में याचिका दाखिल की है, जिसमें DHS से छात्र की स्थिति बहाल करने की मांग की गई है।
क्या है मामला?
4 अप्रैल को लियू को एक ईमेल मिला कि उनका स्टूडेंट स्टेटस खत्म कर दिया गया है। उन्हें न तो कारण बताया गया, न ही कोई मौका दिया गया सफाई देने का। लियू का रिकॉर्ड पूरी तरह साफ है – कोई अपराध, ट्रैफिक उल्लंघन या विरोध प्रदर्शन में भाग नहीं। ACLU-NH के लीगल डायरेक्टर गिल्स बिसोनेट ने कहा, “यह बेहद खतरनाक है कि ट्रंप प्रशासन छात्रों का वीजा अचानक और बिना प्रक्रिया के रद्द कर रहा है। यह कानून का उल्लंघन है और छात्रों को सीधे निर्वासन के खतरे में डाल रहा है।”
यह भी पढ़ें- विश्वविद्यालयों ने कहा- छात्रों के वीजा रद्द किए जा रहे हैं, इनमें से कई भारतीय
5 अप्रैल को दो और छात्रों ने अलग-अलग राज्यों में इसी तरह के मामले में DHS पर मुकदमा दायर किया। मुस्लिम बहुल देश से संबंध रखने वाले छात्र की SEVIS रिकॉर्ड को DHS ने रद्द किया। याचिका में Fifth Amendment के तहत ड्यू प्रोसेस के उल्लंघन का आरोप।
क्या कहता है कानून?
इन सभी मुकदमों में छात्र Administrative Procedure Act और Declaratory Judgment Act के तहत राहत मांग रहे हैं। उनका कहना है कि उन्हें न कोई नोटिस दिया गया, न ही सफाई देने का मौका। यह सीधा-सीधा संवैधानिक अधिकारों का हनन है।
DHS और ICE की चुप्पी
अब तक न DHS और न ही ICE की ओर से इन मुकदमों पर कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया आई है। लेकिन इन मामलों ने अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय छात्रों की स्थिति को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login