भारतीय प्रवासी कांग्रेस (IOCUSA) ने छत्तीसगढ़ में दो कैथोलिक ननों की गिरफ्तारी और हिरासत को संविधानिक अधिकारों का गंभीर उल्लंघन और धार्मिक असहिष्णुता के बढ़ते संकेत के रूप में कड़ी निंदा की है।
25 जुलाई को असिसी सिस्टर्स ऑफ मैरी इमैक्युलेट से जुड़ी सिस्टर प्रीति मैरी और वंदना फ्रांसिस को दुर्ग रेलवे स्टेशन पर गिरफ्तार किया गया। उन्हें छत्तीसगढ़ धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम और मानव तस्करी विरोधी कानूनों के तहत आरोपी बनाया गया है। अधिकारियों का दावा है कि वे नारायणपुर जिले की तीन आदिवासी महिलाओं के धर्म परिवर्तन और तस्करी में शामिल थीं।
भारतीय प्रवासी कांग्रेस के अनुसार, तीनों महिलाएं वयस्क हैं और उनके पास आगरा के एक कॉन्वेंट में काम करने के लिए अभिभावकों की सहमति के लिखित दस्तावेज हैं, जिससे इन आरोपों की वैधता पर सवाल उठते हैं।
बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन
IOCUSA के उपाध्यक्ष जॉर्ज अब्राहम ने इस गिरफ्तारी को गैरकानूनी बताया और कहा कि यह भाजपा शासित राज्यों में ईसाइयों के खिलाफ उत्पीड़न की व्यापक रणनीति का हिस्सा है। अब्राहम ने कहा, छत्तीसगढ़ में सिस्टर प्रीति मैरी और वंदना फ्रांसिस की गिरफ्तारी संविधानिक कानूनों के तहत उनके मौलिक अधिकारों का खुला उल्लंघन है। भाजपा शासित राज्यों में ईसाइयों के खिलाफ लगातार हो रही प्रताड़ना और डराने-धमकाने की घटनाएं भारत की धर्मनिरपेक्षता को खतरे में डाल रही हैं। उन्होंने इसे आदिवासी क्षेत्रों और महिला धार्मिक सेविकाओं पर बढ़ते हमलों का हिस्सा बताया।
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