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भारतीय मूल के कनाडाई सांसद बांग्लादेश में हिंदुओं पर लक्षित हिंसा से चिंतित, रैली का ऐलान

आर्य ने मौजूदा स्थिति के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए 23 सितंबर को कनाडाई संसद के सामने एक रैली की करने की घोषणा की। प्रदर्शन में बांग्लादेश में परिवार के सदस्यों के साथ कनाडाई बौद्ध और ईसाई भी भाग लेंगे।

भारतीय मूल के कनाडाई सांसद चंद्र आर्य / X@AryaCanada

भारतीय मूल के कनाडाई सांसद चंद्र आर्य ने बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता के बीच हिंदुओं और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ती हिंसा पर ध्यान देने का आह्वान किया है। 16 सितंबर को कनाडाई संसद को संबोधित करते हुए भारतीय मूल के सांसद ने बांग्लादेश में हालिया अशांति के मद्देनजर हिंदुओं, बौद्ध और ईसाइयों पर जारी हमलों और विस्थापन पर प्रकाश डाला।

आर्य ने सदन को बताया कि जब भी बांग्लादेश में अस्थिरता होती है तो धार्मिक अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि 1971 में देश को आजादी मिलने के बाद से बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों की हिस्सेदारी में भारी गिरावट आई है।

आर्य ने बांग्लादेश में पारिवारिक संबंधों वाले कनाडाई हिंदुओं की चिंताओं को साझा करते हुए कहा कि धार्मिक अल्पसंख्यकों की संख्या 23.1 प्रतिशत से (जिसमें लगभग 20 प्रतिशत हिंदू शामिल हैं) घटकर लगभग 9.6 प्रतिशत रह गई है। इसमें 8.5 प्रतिशत हिंदू शामिल हैं। आर्य ने कहा कि इन हालात में हिंदुओं को उनके पूजा स्थल और संपत्ति की सुरक्षा को लेकर भय व्याप्त है। 

आर्य ने मौजूदा स्थिति के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए 23 सितंबर को कनाडाई संसद के सामने एक रैली की करने की घोषणा की। प्रदर्शन में बांग्लादेश में परिवार के सदस्यों के साथ कनाडाई बौद्ध और ईसाई भी भाग लेंगे।

हालिया रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि बांग्लादेश के 27 जिलों में अराजकता के बीच हिंदू मंदिरों को निशाना बनाया गया है। इस्लामी राजनीतिक दल जमात-ए-इस्लामी ने स्वीकार किया है कि प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे के बाद से हिंदुओं सहित धार्मिक अल्पसंख्यक विशेष रूप से प्रभावित हुए हैं। यही नहीं अवामी लीग के नेताओं और उनके घरों पर हमलों ने हिंसा को और भड़का दिया है।

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