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अमेरिकी में हत्या की साजिश : वॉशिंगटन जाएगी भारतीय जांच समिति

अमेरिकी प्रशासन न्याय विभाग के इस दावे पर गौर करने के लिए भारत पर दबाव डाल रहा है कि एक अज्ञात भारतीय खुफिया अधिकारी ने पिछले साल एक प्रमुख सिख अलगाववादी और दोहरे अमेरिकी-कनाडा नागरिक गुरपतवंत सिंह पन्नून की हत्या की योजना का निर्देश दिया था।

सांकेतिक तस्वीर / Reuters/Joshua Roberts

संयुक्त राज्य अमेरिका में एक प्रमुख कार्यकर्ता के खिलाफ हत्या की विफल साजिश में भारतीय संलिप्तता की जांच कर रही एक भारतीय सरकारी समिति इस सप्ताह वॉशिंगटन में अमेरिकी अधिकारियों से मुलाकात करेगी। अमेरिकी विदेश विभाग ने यह जानकारी दी है।
 
संयुक्त राज्य अमेरिका न्याय विभाग के इस दावे पर गौर करने के लिए भारत पर दबाव डाल रहा है कि एक अज्ञात भारतीय खुफिया अधिकारी ने पिछले साल एक प्रमुख सिख अलगाववादी और दोहरे (अमेरिकी-कनाडा) नागरिक गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की योजना का निर्देश दिया था।

दूसरे देश की जांच पर एक असामान्य बयान में विदेश विभाग ने सोमवार को कहा कि एक भारतीय जांच समिति 'सक्रिय रूप से व्यक्ति की जांच कर रही है' और भारत ने अमेरिका को सूचित किया है कि वह 'पूर्व सरकारी कर्मचारी के अन्य संबंधों' की जांच कर रहा है।

विदेश विभाग ने कहा कि जांच समिति अपनी जांच के हिस्से के रूप में मामले पर चर्चा करने के लिए और अमेरिकी अधिकारियों से अपडेट हासिल करने के लिए 15 अक्टूबर को वॉशिंगटन, डीसी आएगी। अलबत्ता, वॉशिंगटन में भारत के दूतावास ने इस बारे में टिप्पणी के अनुरोध का तुरंत जवाब नहीं दिया।

नवंबर 2023 में घोषणा करने के बाद से भारत ने सार्वजनिक रूप से इस संबंध में बहुत कम बात की है कि वह औपचारिक रूप से दावों की जांच करेगा। जून 2023 में एक अन्य सिख नेता की हत्या के मामले में कनाडा के साथ भारत का राजनयिक विवाद जारी है।

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सितंबर में कहा था कि उनके देश की खुफिया एजेंसी विश्वसनीय आरोप लगा रही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार एक कनाडाई सिख अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के पीछे थी। वह अलगाववादी उत्तर भारत में एक नए व अलग सिख राज्य 'खालिस्तान' के निर्माण के समर्थन में मुखर था। भारत ने दोनों घटनाओं में शामिल होने से इनकार किया है।

भारत ने इससे पहले 14 अक्टूबर को ओटावा से अपने दूत को वापस बुला लिया था और साथ ही कनाडा के अन्य अधिकारियों और राजनयिकों को भी अपनी जांच में 'रुचि के व्यक्तियों' के रूप में नामित किया था।

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