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भारत संतुलित कर रहा है चीन से संबंध, क्या यह है वजह?

भारतीय अधिकारियों और एक भारतीय उद्योग लॉबिस्ट ने कहा कि ट्रम्प और मोदी के बीच पहले सार्वजनिक रूप से दिखाई देने वाली मित्रता के बावजूद भारत हाल के सप्ताहों में अमेरिका के प्रति थोड़ा कड़ा रुख अपना रहा है। व्यापार वार्ता भी धीमी पड़ गई है।

सांकेतिक तस्वीर / Reuters/File

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प की पाकिस्तान के सैन्य प्रमुख के साथ दोपहर के भोजन पर हुई बैठक पर भारत ने निजी राजनयिक विरोध जताया था और वाशिंगटन को उनके द्विपक्षीय संबंधों के लिए जोखिमों के बारे में चेतावनी दी, जबकि नई दिल्ली चीन के साथ संबंधों को बेहतर बनाने के लिए नए सिरे से विचार कर रहा है। ऐसा अधिकारियों और विश्लेषकों का कहना है। 

मामले पर नजर रखने वाले जानकारों का कहना है कि दशकों के फलते-फूलते संबंधों के बाद ट्रम्प-मुनीर बैठक और अमेरिका-भारत संबंधों में अन्य तनावों ने व्यापार वार्ता पर नकारात्मक प्रभाव डाला है, क्योंकि ट्रम्प प्रशासन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपने एक प्रमुख साझेदार के खिलाफ टैरिफ बढ़ाने पर विचार कर रहा है।

भारत ने पाकिस्तान, खासकर उसके सैन्य प्रतिष्ठान पर सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लंबे समय से लगाया है और उसने अमेरिका को बताया है कि वह फील्ड मार्शल असीम मुनीर को लुभाकर गलत संकेत दे रहा है। इस मामले से सीधे तौर पर वाकिफ तीन वरिष्ठ भारतीय सरकारी अधिकारियों ने रॉयटर्स से यब बात साझा की। उन्होंने कहा कि इससे एक नाजुक स्थिति पैदा हो गई है जो आगे चलकर संबंधों को प्रभावित करेगी।

पिछले दो दशकों में छोटी-मोटी रुकावटों के बावजूद अमेरिका-भारत संबंध मजबूत हुए हैं। कम से कम आंशिक रूप से इसलिए क्योंकि दोनों देश चीन का मुकाबला करना चाहते हैं। एशिया पैसिफिक फाउंडेशन थिंक टैंक के वाशिंगटन स्थित वरिष्ठ फेलो माइकल कुगेलमैन ने कहा- किंतु वर्तमान समस्याएं अलग हैं।

बकौल माइकल जिस आवृत्ति और तीव्रता से अमेरिका पाकिस्तान के साथ बातचीत कर रहा है और विशेष रूप से पाकिस्तान के साथ भारत के हालिया संघर्ष के बाद और भारतीय चिंताओं को ध्यान में नहीं रख रहा है, उसने चिंता रेखाओं को कुछ हद तक बढ़ावा दिया है। उन्होंने कहा कि इस बार चिंता की बात यह है कि व्यापक तनावों में से एक, यानी ट्रम्प की अनिश्चितता, टैरिफ के प्रति उनके दृष्टिकोण के साथ व्यापार क्षेत्र तक फैल रही है।

इस संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय और भारत के विदेश मंत्रालय ने टिप्पणी के अनुरोध का कोई जवाब नहीं दिया। विदेश मंत्रालय ने पहले कहा था कि उसने ट्रम्प-मुनीर बैठक पर 'ध्यान' दिया है। एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि वे निजी राजनयिक संचार पर टिप्पणी नहीं करते और अमेरिका के भारत और पाकिस्तान दोनों के साथ मजबूत संबंध हैं। अधिकारी ने कहा कि ये रिश्ते अपने-अपने गुणों पर आधारित हैं और हम अपने द्विपक्षीय संबंधों की एक-दूसरे से तुलना नहीं करते।

भारत का कड़ा रुख
भारतीय अधिकारियों और एक भारतीय उद्योग लॉबिस्ट ने कहा कि ट्रम्प और मोदी के बीच पहले सार्वजनिक रूप से दिखाई देने वाली मित्रता के बावजूद भारत हाल के सप्ताहों में अमेरिका के प्रति थोड़ा कड़ा रुख अपना रहा है। व्यापार वार्ता भी धीमी पड़ गई है।

जून में कनाडा में जी-7 बैठक के बाद मोदी ने ट्रम्प के वाशिंगटन आने के निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया था। पिछले सप्ताह भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 2020 में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई घातक सीमा झड़प के बाद पहली बार बीजिंग की यात्रा की।

इन हालात में भारत पाकिस्तान को चीन की मदद और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों में बढ़ते चीनी प्रभाव से परेशान है। फिर भी, नई दिल्ली ने मोटे तौर पर यह निष्कर्ष निकाला है कि उसे चीन पर नहीं, बल्कि अपने निकटतम पड़ोसियों पर दबाव बनाकर धीरे-धीरे बढ़ते चीनी प्रभाव का जवाब देना चाहिए।
 

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