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भारत की विदेश नीति पर स्टैनफोर्ड में चर्चा, अमेरिका-चीन संग रिश्तों पर जोर

विशेषज्ञों ने चेताया कि अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं में गिरावट से चीन और रूस के प्रभाव को रोकने की उसकी क्षमता प्रभावित हो सकती है।

भारत की विदेश नीति पर स्टैनफोर्ड में चर्चा / Stanford University

स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में आयोजित 2025 ओक्सेनबर्ग संगोष्ठी में भारत की रणनीतिक स्थिति पर चर्चा हुई, जहां विशेषज्ञों ने इसे एक संयमित और संतुलित रुख बताया। संगोष्ठी में भारत के अमेरिका और चीन के साथ संबंधों के बदलते समीकरणों और वैश्विक शक्ति संतुलन पर विचार किया गया।

भारत की रणनीतिक नीति पर जोर
संगोष्ठी में विशेषज्ञों ने बताया कि भारत अमेरिका के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर रहा है, लेकिन ऐतिहासिक रूप से वह वाशिंगटन की नीतियों को लेकर सतर्क भी रहा है। चीन की आक्रामक नीतियों के कारण भारत-अमेरिका संबंधों में निकटता आई है, लेकिन ट्रंप प्रशासन की अस्थिर विदेश नीति को लेकर भारत अब भी सतर्क है।

पीएम मोदी की व्हाइट हाउस यात्रा के बावजूद भारत को अपेक्षित व्यापारिक रियायतें नहीं मिलीं, जिससे नई दिल्ली को अमेरिका की व्यापार नीतियों के संभावित प्रभावों से निपटने की तैयारी करनी पड़ रही है।

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चीन के साथ संतुलन बनाए रखने की कोशिश
विशेषज्ञों ने बताया कि भारत-चीन संबंध अब भी जटिल हैं, जिसमें सीमा विवाद और दक्षिण एशिया में चीन का बढ़ता प्रभाव बड़ी चुनौतियाँ बनी हुई हैं। हालांकि हाल ही में कूटनीतिक वार्ताओं से तनाव कम होने के संकेत मिले हैं, लेकिन दीर्घकालिक स्थिरता को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है।

अमेरिकी विदेश नीति पर चर्चा
संगोष्ठी में अमेरिका की बदलती विदेश नीति का भी विश्लेषण किया गया। विशेषज्ञों के अनुसार, ट्रंप प्रशासन की अलगाववादी (isolationist) और एकतरफा (unilateralist) नीतियाँ अमेरिका की वैश्विक स्थिति को कमजोर कर सकती हैं।

विशेषज्ञों ने चेतावनी दी कि अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं में गिरावट से चीन और रूस के प्रभाव को रोकने की उसकी क्षमता प्रभावित हो सकती है।

भारत सहित प्रमुख वैश्विक शक्तियाँ अब एक नए भू-राजनीतिक परिदृश्य में आगे बढ़ रही हैं, जहाँ पारंपरिक गठबंधन कमजोर पड़ रहे हैं और विश्व स्तर पर अनिश्चितता बढ़ रही है।

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