भारत के हिमालयी राज्य उत्तराखंड में में विश्व सनातन महापीठ की स्थापना की तैयारियां शुरू हो गई हैं। यहां धर्मनगरी हरिद्वार में विश्वस्तरीय केंद्र 100 एकड़ भूमि में बनाया जाएगा, जिसमें दुनिया की सबसे बड़ी सनातन संसद और गुरुकुल स्थापित होने जा रहे हैं। तीर्थ सेवा न्यास के संरक्षक बाबा हठयोगी ने कहा कि यह महापीठ केवल पत्थरों का भवन नहीं, बल्कि भारतीय वैदिक तेज और सनातन संस्कृति के पुनर्जागरण का प्रतीक होगा।
अध्यक्ष रामविशाल दास के अनुसार, विश्व सनातन महापीठ की स्थापना समारोह 21 नवंबर को होगा और इसी तारीख से निर्माण कार्य की शुरुआत की जाएगी। 1000 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला यह प्रोजेक्ट 2032 तक पूरा करने का लक्ष्य है। उन्होंने बताया कि इसमें हर वह व्यक्ति भागीदार होगा जो सनातन धर्म से जुड़ना चाहता है।
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महापीठ परिसर में 108 संतों के लिए आधुनिक कुटिया, एक विशाल ध्यान केंद्र, 13 अखाड़ों की जानकारी और उनका उद्देश्य पत्र प्रदर्शित करने वाला भवन तथा चारों शंकराचार्य पीठों से प्रेरणा लेते हुए विशेष परिसर बनाए जाएंगे। साथ ही यहाँ दुनिया का सबसे बड़ा गुरुकुल स्थापित होगा, जहाँ वैदिक ज्ञान परंपरा सिखाने के लिए 10 हजार से अधिक बच्चों के लिए शिक्षा की व्यवस्था होगी।
आम श्रद्धालुओं और आगंतुकों के लिए एक हजार कमरों का निर्माण, 108 तीर्थ स्थलों का परिक्रमा पथ, गो संरक्षण केंद्र और स्वरोजगार प्रशिक्षण केंद्र भी बनेंगे। इसके अलावा एक लाख हिंदुओं को शस्त्र प्रशिक्षण देने की योजना भी इसमें शामिल है।
तीर्थ सेवा न्यास का मानना है कि विश्व सनातन महापीठ आने वाले समय में भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का केंद्र बनेगा, जो सनातन परंपरा को वैश्विक पहचान दिलाएगा।
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