व्हाइट हाउस ने रविवार को विदेशी कामगारों और नियोक्ताओं को आश्वस्त किया कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा लागू किया गया नया 100,000 डॉलर का H-1B शुल्क सिर्फ नए आवेदनों पर लागू होगा। इसका असर पहले से जारी वीजा, रिन्यूअल या यात्रा अधिकारों पर नहीं पड़ेगा।
रविवार देर रात जारी गाइडेंस में व्हाइट हाउस ने स्पष्ट किया कि 19 सितंबर को हस्ताक्षरित यह प्रोक्लमेशन 21 सितम्बर 2025 की रात 12:01 बजे (ईस्टर्न डेलाइट टाइम) से पहले दायर किसी भी H-1B वीजा या आवेदन पर लागू नहीं होगा। इसके अलावा यह किसी भी H-1B रिन्यूअल के लिए शुल्क या भुगतान में कोई बदलाव नहीं करता और न ही यह मौजूदा वीजाधारकों को अमेरिका आने-जाने से रोकता है।
व्हाइट हाउस ने जानकारी दी कि Restriction on Entry of Certain Non-immigrant Workers शीर्षक वाले इस प्रोक्लमेशन के तहत सिर्फ 21 सितंबर के बाद दाखिल किए गए सभी नए H-1B आवेदनों पर 100,000 डॉलर शुल्क देना अनिवार्य होगा जिनमें 2026 की लॉटरी भी शामिल है। इसके क्रियान्वयन के लिए Department of Homeland Security (DHS) और State Department को निर्देश दिए गए हैं।
अमेरिकी एजेंसियां पहले ही अपनी प्रक्रियाओं को बदल रही हैं। USCIS (U.S. Citizenship and Immigration Services) ने शुल्क वसूली पर मेमो जारी किया है तो वहीं Customs and Border Protection ने आंतरिक गाइडेंस दी और State Department ने विश्वभर में कांसुलर अधिकारियों को निर्देश भेजे हैं।
व्हाइट हाउस ने यह भी स्पष्ट किया कि यह कदम सिर्फ शुरुआत है। श्रम विभाग (Labor Department) अब H-1B प्रोग्राम को अपस्किल करने और केवल सर्वश्रेष्ठ विदेशी कामगारों की नियुक्ति सुनिश्चित करने के लिए प्रिवेलिंग वेज स्तर बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू करेगा। इसी के साथ DHS को यह जिम्मेदारी दी गई है कि H-1B लॉटरी में उच्च कौशल और अधिक वेतन पाने वाले आवेदकों को प्राथमिकता दी जाए।
गाइडेंस में कहा गया है कि अतिरिक्त सुधारों पर भी विचार हो रहा है और आने वाले महीनों में इसकी घोषणा की जाएगी।
ज्ञात हो कि H-1B वीजा हर साल 85,000 विदेशी कामगारों को प्रवेश देता है। इसे टेक्नोलॉजी कंपनियां भारत और चीन से टैलेंट भर्ती के लिए बेहद जरूरी मानती हैं। हालांकि आलोचकों का कहना है कि इस प्रोग्राम का दुरुपयोग कर कंपनियां अमेरिकी कर्मचारियों की जगह सस्ते विदेशी कामगारों को रख लेती हैं।
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