क्या होगा जब डॉक्टरों को मिलेगा एक ऐसा डिजिटल साथी जो ना थके, ना गलती करे और हर मरीज को समझे बिल्कुल व्यक्तिगत रूप से? इसी सवाल का जवाब मिला TiECon 2025 के ‘हेल्थकेयर एंड लाइफसाइंसेज’ सत्र में, जहां दुनिया भर के हेल्थकेयर लीडर्स ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की दमदार मौजूदगी और उसके भविष्य पर गहन चर्चा की।
इस बहुचर्चित सत्र की शुरुआत एक उच्च स्तरीय एग्जीक्यूटिव राउंडटेबल से हुई, जिसका विषय था "हेल्थकेयर AI: वादे बनाम प्रदर्शन"। इसमें प्रमुख तकनीकी और मेडिकल कंपनियों के CEO और CXO ने बताया कि कैसे AI सिर्फ कल्पना नहीं, बल्कि वास्तविकता बन चुका है — चाहे बात कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की शुरुआती पहचान की हो या फिर रियल-टाइम डायग्नोसिस की।
इसके बाद आई एक फायरसाइड चैट, जिसमें चर्चा हुई "AI के ज़रिए मरीजों की इलाज तक पहुंच आसान बनाने" की। विशेषज्ञों ने बताया कि कैसे AI टूल्स की मदद से अब दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों तक भी चिकित्सा सेवाएं पहुंच रही हैं, भाषा और संसाधनों की सीमाओं को तोड़ते हुए।
यह भी पढ़ें- Tiecon 2025 : होम ऑफ होप ग्रामीण भारत के लिए करेगा बड़ा काम, साझेदारी का ऐलान
कार्यक्रम का समापन हुआ एक पैनल चर्चा से, जिसका विषय था "स्वास्थ्य प्रणालियों को अगली AI लहर के लिए कैसे तैयार करें"। इसमें चर्चा हुई पूरी तरह से स्वायत्त AI एजेंट्स पर, जो निकट भविष्य में डॉक्टरों के निर्णयों में सहयोग ही नहीं बल्कि खुद इलाज की रणनीति तय करने में भी भूमिका निभा सकते हैं।
सत्र के दौरान यह भी रेखांकित किया गया कि चिकित्सा के क्षेत्र में AI के इस्तेमाल से न केवल लागत कम होगी, बल्कि मरीजों को सटीक और समय पर इलाज भी मिलेगा। हालांकि, डाटा सुरक्षा और नैतिकता से जुड़ी चिंताओं पर भी सभी ने जिम्मेदार समाधान की आवश्यकता पर बल दिया।
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login