आईआईटी हैदराबाद (IITH) और ऑस्ट्रेलिया की डीकिन यूनिवर्सिटी ने अनुसंधान, नवाचार और प्रशिक्षण (AMRIT) पहल की शुरुआत की घोषणा की है। यह पहल दोनों विश्वविद्यालयों द्वारा एक साझेदारी के तहत की जा रही है, जिसका उद्देश्य अगली पीढ़ी की विनिर्माण प्रौद्योगिकियों में रिसर्च और प्रशिक्षण को बढ़ावा देना है।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान हैदराबाद (IITH) और ऑस्ट्रेलिया के डीकिन विश्वविद्यालय ने उन्नत विनिर्माण अनुसंधान नवाचार और प्रशिक्षण (AMRIT) पहल की शुरुआत की घोषणा की है। AMRIT दोनों संस्थानों के बीच पांच वर्षों से अधिक की शैक्षणिक और अनुसंधान साझेदारी पर आधारित है। यह पहल एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग, स्मार्ट मटीरियल, लाइटवेट कंपोजिट, ऑटोमेशन और इंडस्ट्री 4.0 तकनीक जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगी। इसके तहत शैक्षणिक अनुसंधान को उद्योग की जरूरतों से जोड़ने का भी प्रयास किया जाएगा।
IIT हैदराबाद के निदेशक प्रोफेसर बी.एस. मूर्ति ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि AMRIT संयुक्त डॉक्टरेट और मास्टर कार्यक्रमों, स्टार्टअप इनक्यूबेशन और सहयोगी पर्यवेक्षण के लिए लॉन्चपैड के रूप में काम करेगा, जिससे कि IITH और डीकिन के बीच गहरे संबंधों की मजबूती पर जोर दिया जाएगा। संयुक्त डॉक्टरेट कार्यक्रम में पहले से ही 30 छात्रों के नामांकित होने के साथ, साझेदारी वैश्विक रूप से प्रासंगिक समाधानों को सह-निर्माण करने की निरंतर प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
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प्रोफेसर मूर्ति ने कहा, "AMRIT सहयोगी नवाचार में एक दूरदर्शी कदम का प्रतिनिधित्व करता है, जिसे भारत के विनिर्माण क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर नेतृत्व करने के लिए उपकरण, प्रतिभा और प्रौद्योगिकी से लैस करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह डीकिन विश्वविद्यालय के साथ लंबे समय से चली आ रही बहुआयामी साझेदारी का विस्तार है और मुझे इसके ज़रिए शानदार नतीजों की उम्मीद है।"
वहीं डीकिन यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर इयान मार्टिन ने कहा, "यह एक प्रेरक मॉडल है कि कैसे अंतर्राष्ट्रीय सहयोग अनुसंधान, नवाचार और प्रतिभा विकास को सशक्त बना सकता है ताकि पारस्परिक रूप से लाभकारी परिणामों को आगे बढ़ाया जा सके।"
बता दें कि डीकिन यूनिवर्सिटी से 150,000 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर और IITH से 75,000 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर की सीड फंडिंग की जाएगी। पहल के शुरुआती चरण में तीन साल की अवधि में अनुसंधान गतिशीलता, संयुक्त शैक्षणिक कार्यक्रमों और उद्योग-केंद्रित कार्यशालाओं पर फोकस किया जाएगा। इसके अलावा दोनों संस्थान SPARC और AISRF समेत भारतीय और ऑस्ट्रेलियाई सरकारी निकायों के माध्यम से अतिरिक्त फंडिंग प्राप्त करने की योजना पर भी काम कर रहे हैं।
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