डोनाल्ड ट्रम्प / Reuters
अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के प्रशासन द्वारा H-1B वीजा आवेदन पर 1 लाख डॉलर (लगभग ₹83 लाख) की नई फीस लगाए जाने के फैसले का विरोध अब रिपब्लिकन सांसदों के भीतर से भी उठने लगा है।
21 अक्टूबर को ट्रम्प और वाणिज्य सचिव हावर्ड लुटनिक को भेजे गए एक द्विदलीय (bipartisan) पत्र में छह सांसदों ने इस फैसले को वापस लेने या संशोधित करने की अपील की है। सांसदों का कहना है कि यह कदम अमेरिकी स्टार्टअप्स के लिए गंभीर चुनौतियां पैदा करेगा और देश की तकनीकी बढ़त को कमजोर करेगा। पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में रिपब्लिकन सांसद जे ओबर्नॉल्टे (कैलिफोर्निया), मारिया एलवीरा सलाजार (फ्लोरिडा) और डॉन बेकन (नेब्रास्का) के साथ-साथ डेमोक्रेट सांसद सैम लिकार्डो (कैलिफोर्निया), सुहास सुब्रमण्यम (वर्जीनिया) और ग्रेग स्टैंटन (एरिज़ोना) शामिल हैं।
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सांसदों ने लिखा कि वे H-1B वीजा प्रणाली में सुधार का समर्थन करते हैं, लेकिन ट्रम्प प्रशासन का यह कदम तेजी से बढ़ती अमेरिकी स्टार्टअप कंपनियों को जरूरी विदेशी प्रतिभाओं को भर्ती करने से रोक देगा, जिससे उनका विकास रुकेगा, अमेरिकी नागरिकों के लिए नौकरियां घटेंगी और देश की तकनीकी लीडरशिप को खतरा होगा। रिपब्लिकन सांसद डॉन बेकन ने कहा कि इतने बड़े बदलावों में कांग्रेस की भूमिका जरूरी है। उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि किसी राष्ट्रपति को इतनी बड़ी नीति एकतरफा बदलने का अधिकार नहीं होना चाहिए। यह पत्र ट्रम्प की वापसी के बाद इमिग्रेशन नीति पर रिपब्लिकन सांसदों की पहली बड़ी नाराजगी के रूप में देखा जा रहा है। कई सांसदों को चिंता है कि अधिक प्रतिबंधात्मक नीतियों से अमेरिकी अर्थव्यवस्था और टेक्नोलॉजी सेक्टर को नुकसान हो सकता है।
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