येल विश्वविद्यालय में अंग्रेजी की सहायक प्रोफेसर और भारतीय मूल की विद्वान प्रियाशा मुखोपाध्याय को व्हिटनी एंड बेट्टी मैकमिलन सेंटर फॉर इंटरनेशनल एंड एरिया स्टडीज द्वारा 2025 का गैडिस स्मिथ अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक पुरस्कार प्रदान किया गया है। यह पुरस्कार उनकी पुस्तक, 'रिक्वायर्ड रीडिंग: द लाइफ ऑफ एवरीडे टेक्स्ट्स इन द ब्रिटिश एम्पायर (प्रिंसटन यूनिवर्सिटी प्रेस, 2024)' के लिए दिया गया है।
मैकमिलन सेंटर ने 2 सितंबर को इन पुरस्कारों की घोषणा करते हुए बताया कि इसके अंतरराष्ट्रीय पुस्तक पुरस्कार येल विश्वविद्यालय के विद्वत्तापूर्ण प्रकाशन के लिए सबसे प्रतिष्ठित सम्मानों में से एक हैं। 2004 में स्थापित, ये पुरस्कार वैश्विक इतिहास और साम्राज्य पर संकाय लेखन को सम्मानित करते हैं। विजेताओं को मैकमिलन सेंटर में शोध नियुक्ति और भविष्य की छात्रवृत्ति के लिए 5,000 डॉलर की धनराशि प्रदान की जाती है।
अपनी पुस्तक में मुखोपाध्याय इस बात का अध्ययन करती हैं कि कैसे मैनुअल, सरकारी दस्तावेज और पंचांग जैसे साधारण ग्रंथों ने औपनिवेशिक दक्षिण एशिया में पाठकों के राजनीतिक और कल्पनाशील जीवन को आकार दिया। पुरस्कार समिति ने उनके काम को 'गहन शोधपूर्ण, अपनी शैली में निपुण, अपने विश्लेषण में नवीन और अंतःविषयक विद्वत्ता का एक आदर्श' बताया।
अपने अध्ययन के महत्व को समझाते हुए मुखोपाध्याय बताती हैं कि कैसे आंशिक, प्रतिरोधी या उपयोगितावादी पठन-पद्धतियां भी व्यक्तियों द्वारा साम्राज्यवादी शासन को समझने और उस पर प्रतिक्रिया देने के तरीकों का केंद्र बन गईं।
हाल के महीनों में उनकी पुस्तक को यह दूसरा सम्मान मिला है। जून में, येल कला एवं विज्ञान संकाय ने मुखोपाध्याय को सैमुअल और रोनी हेमैन पुरस्कार से सम्मानित किया था, जो मानविकी में उत्कृष्ट विद्वता के लिए दिया जाता है।
मुखोपाध्याय ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में पीएचडी की है और इससे पहले उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक, परास्नातक और एमफिल की उपाधियां प्राप्त की थीं।
2025 का गुस्ताव रानिस अंतरराष्ट्रीय पुस्तक पुरस्कार प्रोफेसर पॉल बेंटन को वैश्विक इतिहास पर उनके कार्य के लिए प्रदान किया गया। पिछले वर्ष के पुरस्कार विजेताओं में पश्चिम अफ़्रीकी साहित्य पर शोध के लिए स्टेफनी न्यूवेल और चेचन्या में क़ानून एवं राज्य-निर्माण पर अध्ययन के लिए एगोर लाजरेव शामिल थे।
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