भारत के पूर्वी शहर कोलकाता में लाखों लोग इस सप्ताह सड़क पर पार्टियों और भव्य मंडपों में मूर्तियों की पूजा करके हिंदू त्योहार दुर्गा पूजा मनाते हुए हजारों साल पुरानी परंपराओं का आनंद लेंगे।
दिलचस्प यह है कि भारत का प्राचीन और दिव्य अब डिजिटल और भविष्यवादी कलाओं के साथ तेज़ी से जुड़ रहा है क्योंकि बेहद लोकप्रिय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) एप्स नए डिजाइन आइडियाज पैदा करने में मदद कर रहे हैं।
कुम्हार मोंटी पॉल ने देवी दुर्गा की अपनी मूर्ति की प्रशंसा करते हुए कहा कि कारीगर अब नए डिजाइन खोजने के लिए AI का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे उन्हें अपडेट रहने में मदद मिल रही है।
मिट्टी से बनी, तार और पुआल के फ्रेम पर ढली और नीऑन गुलाबी और नीले रंगों से रंगी यह मूर्ति, दस भुजाओं वाली, तीन आंखों वाली देवी को शेर पर सवार दिखाती है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत के उपलक्ष्य में एक राक्षस भैंसे का वध कर रही हैं।
70 वर्षीय पॉल ने शहर के सदियों पुराने मूर्ति निर्माण केंद्र, कुमारतुली की संकरी गलियों के सैकड़ों अन्य कुम्हारों की तरह अपने पिता से यह कला सीखी।
कोलकाता डेढ़ करोड़ से ज्यादा लोगों का घर है और हर साल यहां कला, संगीत और भक्ति का 10 दिवसीय उत्सव मनाया जाता है, जिसे यूनेस्को ने मानवता की 'अमूर्त सांस्कृतिक विरासत' का हिस्सा माना है।
इसके केंद्र में हजारों सामुदायिक क्लबों द्वारा निर्मित जटिल रूप से गढ़ी गई मूर्तियां और अस्थायी मंदिर या 'पंडाल' हैं। कई पंडाल राजनीति से लेकर पॉप संस्कृति तक, समकालीन विषयों को दर्शाते हैं।
AI संचालित चित्र
कारीगर हर साल पहले से कहीं ज्यादा आकर्षक कलाकृतियां बनाने की होड़ में रहते हैं। पॉल ने बताया कि दशकों से डिजाइन या तो कागज पर बनाए जाते थे या उन्हें बनाने वाली हजारों समितियों द्वारा मौखिक रूप से वर्णित किए जाते थे। लेकिन अब कमीशन देने वाले समुदाय AI एप्स का भी इस्तेमाल करते हैं, जो टेक्स्ट प्रॉम्प्ट के जरिए अद्भुत चित्र बनाते हैं और विचारों को चित्रों में बदलते हैं।
उन्होंने कहा कि इस साल, कई उत्सव आयोजक AI संचालित चित्रों का विकल्प चुन रहे हैं। वे हमें चैटजीपीटी से मूर्तियों के चित्र देते हैं और बताया कि वे प्राचीन काल की हजारों दुर्गा प्रतिमाओं के चित्रों का इस्तेमाल करते हैं। फिर हम आयोजकों की इच्छानुसार मूर्तियों के डिजाइन बनाने की कोशिश करते हैं।
इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अनुसार 90 करोड़ इंटरनेट उपयोगकर्ताओं वाला भारत AI उपकरणों के लिए दुनिया के सबसे बड़े बाज़ारों में से एक बन गया है। यह गूगल के नैनो बनाना इमेज-जनरेशन मॉडल का सबसे बड़ा उपयोगकर्ता आधार है और चैटजीपीटी का दूसरा सबसे बड़ा उपयोगकर्ता आधार है। चीन में इंटरनेट उपयोगकर्ता अधिक हैं, लेकिन भारत अमेरिकी प्रौद्योगिकी कंपनियों के लिए खुला है।
वरदान या अभिशाप
दुर्गा पूजा के साथ AI का मेल कुछ लोगों के लिए एक थीम बन गया है। उत्तरी कोलकाता के 100 साल पुराने सामुदायिक क्लब के सचिव सुबल पॉल ने बताया कि उन्होंने AI को अपना मूल भाव चुना। उन्होंने कहा कि हमने पंडाल और देवी दुर्गा की मूर्ति का विचार प्राप्त करने के लिए चैटजीपीटी और अन्य AI उपकरणों की मदद ली।
हमने चैटबॉट्स की मदद ली... यह दर्शाते हुए कि AI हमारे जीवन को कैसे आकार दे रही है। उनके मंडप को विशाल कंप्यूटर कीबोर्ड और चमकती रोशनियों से सजाया गया है, जिसकी पृष्ठभूमि आईटी कार्यालय के टावरों जैसी है।
दो आदमकद रोबोट प्रवेश द्वार की रखवाली करते हैं, जबकि एक अन्य मूर्ति के सामने पंडाल की छत पर चक्कर लगाता है। 45 वर्षीय सुबल पॉल ने कहा कि पुरानी व्यवस्था बदल गई है और उसकी जगह एक नई व्यवस्था ने ले ली है। हमें नहीं पता कि यह वरदान है या अभिशाप।
कई लोगों के लिए यह तकनीक वर्ग, धर्म और समुदाय की बाधाओं को पार करने के लिए प्रसिद्ध एक उत्सव को और भी समृद्ध बनाती है। संस्कृत शास्त्रों के विद्वान, 80 वर्षीय अजय भट्टाचार्य ने कहा कि इस परंपरा जैसा शानदार और भावपूर्ण कुछ भी नहीं है। यह परंपरा, संस्कृति और आधुनिकता का एक संगम है।
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login